देश में यूकेलिप्टिस (Eucalyptus ) को नीलगिरी और सफेदा के नाम से भी जाना जाता है. इसकी लकड़ियां (Wood) बहुत स्ट्रांग होती हैं. इसका उपयोग पार्टिकल बोर्ड,फर्नीचर और इमारतों को बनाने में किया जाता है. यूकेलिप्टिस की खेती (Farming) के लिए किसी खास मिट्टी और जलवायु की जरूरत नहीं पड़ती है. इसे आप कहीं भी ऊगा सकते हैं.

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सफेदा की खेती के लिए इस तरह की मिट्टी की जरूरत

भारत में यूकेलिप्टिस की खेती तमिलनाडु, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल और गोवा में बड़े पैमाने पर की जाती है. यूकेलिप्टिस का पौधा 6.5 से 7.5 के मध्य P.H. मान वाली भूमि में सही से विकास करता है. यह पेड़ न्यूनतम 0 डिग्री और अधिकतम 47 डिग्री तापमान तक जिंदा रहने में सक्षम है.

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खेतों की तैयारी और रोपाई

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूकेलिप्टिस के पौधे को लगाने से पहले खेतों से खरपतवार साफ कर लें. इसके बाद सही से दो-तीन बार जुताई करें. अब पौधों के रोपाई के लिए गड्ढे तैयार करें. इसके बाद गड्ढा तैयार होने के बाद रोपाई का प्रोसेस शुरू कर दें. इसके लिए बीजों को नर्सरी में लगाकर पौध तैयार की जाती है. इन पौधों को आप किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी खरीद सकते हैं.

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सहफसली तकनीक अपनाएं

यूकेलिप्टिस के पेड़ बनने में करीब 8 से 10 साल का समय लग जाता है. इस बीच खाली पड़ी भूमि में आप मसाला या औषधीय फसलों को उगाकर एक्स्ट्रा मुनाफा कमा सकते हैं. विशेषज्ञ इन पेड़ों के बीच अदरक और हल्दी जैसी फसलों को लगाने की सलाह देते हैं.

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50 से 60 लाख का मुनाफा

यूकेलिप्टिस के पौधों को सही तरीके से तैयार होकर पेड़ बनने में 10 से 12 साल का समय लग जाता है. यूकेलिप्टिस की खेती में लागत भी कम लगती है. एक पेड़ का भार 400 किलोग्राम के आसपास होता है. एक हेक्टेयर के खेत में करीब एक से डेढ़ हजार पेड़ों को आसानी से लगाया जा सकता है. पेड़ सही तरीके से तैयार होने के बाद इन लकड़ियों को बाजार में बेचकर किसान आराम से 50 से 60 लाख तक की कमाई कर सकता है.