Soyabean Farming: देशभर के कई हिस्सों में खरीफ की फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. किसानों ने सोयाबीन की खेती (Farming) करने के लिए खेतों की तैयारी करना शुरू कर दी है. सोयाबीन खरीफ मौसम की एक प्रमुख फसल है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश सोयाबीन उत्पादन में पहले स्थान पर है. कुछ वर्षों पहले तक सोयाबीन की फसल (Crop) को काला सोना की संज्ञा दी जाती थी. लेकिन इस बीच इसके उत्पादन में कमी देखी गई है. किसान अब भी सोयाबीन की खेती कर लाखों का मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

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सोयाबीन दलहन के बजाय तिलहन की फसल मानी जाती है. भारत में खरीफ फसल के मौसम में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और राजस्थान मिलकर देश में सोयाबीन की खेती में अकेले 96 प्रतिशत से अधिक का योगदान देते हैं.

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किस मिट्टी पर होती है सोयाबीन की खेती

सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए.सोयाबीन की खेती अधिक हल्‍की भूमि को छोड़कर सभी तरह की जमीन पर की जा सकती है. फसल बोन के बाद से ही फसल निगरानी करें। अगर संभव हो तो लाइट ट्रेप तथा फेरोमोन ट्रेप का इस्तेमाल करें।सोयाबीन की खेती करते समय आप विशेष बात का ध्यान रखें कि जिस भी जगह इसकी खेती कर रहे हैं.

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तो वहां जलनिकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. खेतों में पानी रूकने के कारण से इसकी फसल बर्बाद हो जाती है.खरीफ मौसम की फसल होने के कारण सामान्यत: सोयाबीन को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

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इस समय करें बुवाई

सोयाबीन की खेती की बुुवाई जून के लास्ट हफ्ते में और जुलाई के पहले हफ्ते में करना सबसे उपयुक्‍त है. अधिक देरी होने पर जुलाई के दूसरे हफ्ते तक इस खेती की बुवाई सुनिश्चित कर लें. सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए.