Vishwakarma Puja 2022 date; विश्वकर्मा पूजा घर पर मनाए जाने वाले अन्य त्योहारों से अलग दुकानों, कारखानों और कार्यालयों में मनाया जाता है. इस त्यौहार में मशीन की पूजा होती है और विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति की स्थापना भी की जाती है. 

विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें बिश्वकर्मा के नाम से भी जाना जाता है. ये त्यौहार असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में व्यापक रूप से मनाया जाता है.

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दिलचस्प बात यह है कि भगवान विश्वकर्मा उन देवताओं में से एक हैं जिनका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है. ऋग्वेद दुनिया में सबसे पुराना माना जाता है. इसके अलावा विश्वकर्मा भगवान को देवताओं और देवियों के इंजीनियर, आर्किटेक्ट या कारपेंटर के रूप में जाना जाता है. इसलिए आर्किटेक्ट, कारपेंटर, इंजीनियर, तकनीशियन, मैकेनिक और मूर्तिकार उनकी पूजा करते हैं. ब्रह्मांड के डिजाइनर को खुश करने के लिए कारखानों, मिलों और कार्यशालाओं में विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. 

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विश्वकर्मा पूजा कब है 2022

भगवान विश्वकर्मा पहली बार कन्या संक्रांति (जब सूर्य कन्या राशि में चला जाता है) के दिन अस्तित्व में आए. इसलिए विश्वकर्मा पूजा की तारीख ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर साल एक ही दिन पड़ती है. इस वर्ष भी श्रद्धालु 17 सितंबर शनिवार (Vishwakarma Puja 2022 date) को विश्वकर्मा जयंती मनाएंगे. पूजा का मुहूर्त सुबह 7:36 बजे (Vishwakarma Puja 2022 muhurt) है. 

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ऐसे की जाती है भगवान विश्वकर्मा की पूजा

* विश्वकर्मा जयंती के दिन जल्दी नहा लेने के बाद पूजा स्थल को साफ कर लें.

इसके बाद पूजा स्थल पर गंगा जल छिड़ककर उसे पवित्र कर लें.

साफ चौकी पर पीले रंग का कपडा बिछाएं.

* इस पीले कपड़े पर लाल कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं.

भगवान गणेश को पहले प्रणाम कर लें.

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* पीले कपड़े पर बनाए गए स्वास्तिक पर चावल और फूल चढ़ाएं. 

चौकी पर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर लगाएं या मूर्ति रखें.

एक दीपक जलाकर वहां रख लें.

फिर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा जी के मस्तक पर तिलक लगाकर पूजा का शुभारम्भ करें.

भगवान विश्वकर्मा और भगवान विष्णु को प्रणाम करते हुए उनका मन ही मन स्मरण करें. साथ ही यह प्रार्थना करें कि वह आपकी नौकरी-व्यापार में तरक्की के सभी मार्ग आपको दिखाएं.

पूजा के दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप भी करें.

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फिर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती करें.

आरती के बाद उन्हें फल-मिठाई आदि का भोग लगाएं, इस भोग को सभी लोगों और कर्मचारियों में बांटें. 

विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा पूजा की जाती है. विश्व के निर्माता भगवान विश्वकर्मा का जन्म इसी दिन हुआ था और इस प्रकार, उनके जन्म को चिह्नित करने और कारीगरों और रचनाकारों की कड़ी मेहनत और प्रतिभा का जश्न मनाने के लिए, यह पूजा की जाती है.