Shardiya Navratri 2022: आज शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्गा मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भय से मुक्ति मिलती है,और साहस में वृद्धि होती है. चंद्रघंटा मां पार्वती का ही एक रूप है, मां के इस स्वरूप को शांत स्वभाव वाला माना जाता है. लेकिन मां पार्वती ने दुष्टों का संहार करने के लिए इस रौद्र रूप को धारण किया था. दस भुजाओं वाली मां चंद्रघंटा की सवारी शेर होती है. मां की दसों भुजाएं दस अलग-अलग अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित होती है. देवी के इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से इंसान के जन्म-जन्म के पाप तर जाते हैं. चंद्रघंटा के स्वरूप को परम कल्याणकारी और शांतिदायक माना जाता है.

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कौन हैं मां चंद्रघंटा

मां पार्वती के एक रूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है. मां चंद्रघंटा के माथे पर अर्धचंद्र सजा हुआ है, इसलिए इनके इस रूप को चंद्रघंटा के रूप से जाना जाता है. मां की दस भुजाएं होती हैं और उनमें अस्त्र-शस्त्र सजे होते हैं. मां की मुद्रा युद्ध वाली होती है. माना जाता है कि जो मां चंद्रघंटा की पूजा करता है वो बड़ा ही पराक्रमी होता है. ज्योतिष के अनुसार माता चंद्रघंटा का संबंध मंगल ग्रह से होता है. बता दें कि मंगल ग्रह से स्वभाव में विनम्रता आती है.

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मां चंद्रघंटा की कथा

एक दूसरी कथा के अनुसार जब महिषासुर नामक राक्षस ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया तो सभी देवता उसकी मंशा से डर गए. महिषासुर स्वर्ग पर अपने अधिकार के लिए युद्ध कर रहा था. तब इंद्र देव सहित सभी देवता भगवान विष्णु, महेश और ब्रह्माजी के पास गए मदद के लिए गए. उन्होंने महिषासुर के आतंक के बारे में त्रिदेव को बताया. उनकी बात सुन त्रिदेव क्रोधित हो गए और उनके अंदर से एक ऊर्जा निकली, जो मां चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध हुईं.

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सभी देवताओं ने देवी के उस स्वरूप को अपने अस्त्र और शस्त्र प्रदान किए, जिसके फलस्वरूप मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध करके उसके अत्याचारों से देवताओं को मुक्ति दिलाई. इस वजह से यह देवी अपने भक्तों को साहस प्रदान करती हैं. इसलिए कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करने वाले को साहसी और निडर माना जाता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.