दिवाली (Diwali 2022) की धूम आज देशभर में देखने को मिल रही है. दिवाली की रात्रि को लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Puja) के वक्त कई प्रकार की मान्यताएं निभाई जाती हैं. प्रत्येक समाज अपने अनुसार लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करता है. कई घरों में लोग लक्ष्मी पूजन के बाद जुआ या पत्ते खेलते हैं. उनके मुताबिक, ऐसा करना शुभ माना जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जुआ खेलने का मुख्य लक्ष्य सालभर भाग्य की परीक्षा करना है. लेकिन जुआ (Gambling) खेलना सामाजिक बुराई है और सरकार ने इस पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है. तो चलिए हम आपको बताएंगे क्यों दिवाली के दिन लोग जुआ खेलते हैं.

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शिव-पार्वती खेला करते थे चौसर

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, दिवाली की रात को जुआ खेलना इस वजह से शुभ है क्योंकि कार्तिक महीने की इस रात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती ने चौसर खेला था. इस चौसर में भगवान शिव को हार का सामना करना पड़ा था. तब से ही दिवाली की रात जुआ खेलने की परंपरा जुड़ गई. लेकिन, इसका कहीं वर्णन नहीं है.

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दिवाली के दिन जुआ खेलना शुभ है. लेकिन लोग जुआ पैसा लगाकर खेलते हैं तो इसको अशुभ माना जाता है. जुआ खेलने की लत की वजह से महाभारत काल में पांडव अपनी धन दौलत, पत्नी सब कुछ हार गए थे. जुआ की लत आदमी को बर्बाद कर देती हैं.

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दिवाली के दिन घर आती हैं मां लक्ष्मी

दिवाली की रात्रि को शगुन की रात भी मानी जाती है. इस दिन की रात को मां लक्ष्मी के घर आने के लिए आह्वान किया जाता है. लोगों का मानना है कि दिवाली की रात जुआ खेलना वर्षभर हार-जीत का संकेत माना जाता है.

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अगर आपको जुआ खेलना है तो बिना कुछ दांव पर लगाए मनोरंजन के लिए खेल सकते हैं. यदि आप अपनी फैमिली में मिलकर खेल के तरीके से जुआ खेलते हैं. तो इससे आपस में प्यार बढ़ता है. लेकिन पैसा लगाने से कभी आपके लिए हानिकारक हो सकता है. जुए में पैसा लगाकर खेलने से मां लक्ष्मी भी रूठ सकती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)