Dhanteras Puja Vidhi: कार्तिक मास में कई सारे व्रत और त्योहार पड़ते हैं जिसमें दिवाली सबसे बड़ा पर्व है. दिवाली के दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है जिसमें लोग खरीददारी करते हैं. इस दिन भारत में कपड़ों, सोना-चांदी, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल की चीजें खरीदते हैं. धनतेरस के दिन पूजा भी की जाती है जिससे घर में धन का आगमन हो सके और लोग धनतेरस को धन से जोड़कर ही देखते हैं. दिवाली के दो दिन पहले धनतेरस क्यों पड़ता है, धनतेरस की पूजा विधि क्या है और धनतेरस के दिन किस भगवान की पूजा की जाती है, ये भी अक्सर लोगों के मन में सवाल रहता है. चलिए आपको धनतेरस से जुड़ी तमाम बातें विस्तार में बताते हैं.

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धनतेरस पर किस देवता की पूजा होती है? (Dhanteras Puja Vidhi)

दिपावली के दो दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है और इस साल 10 नवंबर को धनतेरस का दिन पड़ा है. ऐसा इसलिए क्योंकि त्रयोदशी तिथि इस साल 10 नवंबर को ही लग रही है. धनतेरस की पूजा के लिए शाम का समय उत्तम होता है जब आप आसन लगाकर बैठ सकते हैं इसके बाद उत्तर दिशा में कुबेर, भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की तस्वीर एक चौकी पर लगा लें. इसके बाद घी का दीपक जलाकर धूप, फूल, अक्षत, रोली, चंदन, वस्त्र सभी को अर्पित करते हैं. इसके बाद मंत्रों का जाप करना चाहिए, धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए अब आरती करें और घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीपक जलाना चाहिए. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का विशेष दिन माना जाता है और इस दिन उनका मंत्र, आरती के साथ पूजा की जाती है. त्रयोदशी को तेरस भी कहा जाता है और धन्वंतरि की पूजा करने के कारण इस दिन को धनतेरस कहा जाता है.

आपकी जानाकरी के लिए बता दें, भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक भी माना जाता है इसलिए ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा करने वाला आरोग्य रहता है. इसके साथ ही उनका परिवार दुख और दरिद्रता से भी दूर रहता है. 10 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा, 11 नवंबर को छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी, 12 नवंबर को बड़ी दिवाली का पर्व मनाया जाएगा. इसी के साथ परेवा, भाईदूज और छठ का महापर्व मनाया जाएगा. कार्तिक मास का पूरा महीना त्योहारों में बीत जाता है और लोग इसे खूब एन्जॉय भी करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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