हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का विशेष महत्व है. इस पर्व को काफी लोग मनाते हैं. ये पूजा संतान के सुख और कामना की पूर्ति का दिन होता है. पहले आप जान लीजिए ये कब मनाया जाता है. अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास में मनाया जाता है. ये कार्तिक मास के अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.

पंचाग के मुताबिक, इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी 17 अक्टूबर को होगा. इस दिन सोमवार है. बता दें कृष्ण पक्ष अष्टमी सुबह 9.29 बजे से शुरू हो रहा है. जो 18 अक्टूबर (मंगलवार) को पूर्वाह्न 11.57 बजे तक रहेगा. अहोई अष्टमी का व्रत विशेष रूप से मनाया जाता है और इस दिन माताएं अपने बच्चों की रक्षा के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. करवा चौथ के चौथे दिन या दिवाली से आठ दिन पहले अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है.

यह भी पढ़ेंः Sankashti Chaturthi 2022 Date: कब है संकष्टी चतुर्थी? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

संतान सुख के लिए अहोई अष्टमी

उत्तर भारत में अहोई अष्टमी का ज्यादा महत्व है. माताएं अपने बच्चों के लिए और उनकी रक्षा के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. साथ ही अहोई माता की पूजा की जाती है. अहोई व्रत का महत्व के बारे में पुराणों में बताया गया है. जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं उन के लिए भी ये व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. निसंतान दंपतियों के लिए ये व्रत किसी वरदान से कम नहीं होता है. संतान प्राप्ति एवं संतान की सुरक्षा के लिए ये व्रत अत्यंत ही शुभदायक होता है.

यह भी पढ़ेंः Karwa Chauth 2022: करवाचौथ पर छलनी से चांद क्यों देखते हैं? जानें मान्यता

17 अक्टूबर को अहोई अष्टमी व्रत के पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05:50 से शुरू हो रहा है जो शाम 07:05 तक चलेगा. ऐसे में पूजा सामग्री की व्यवस्था पहले से कर लेना उचित होता है. अहोई अष्टमी की पूजा में शाम के समय तारों को देखकर व्रत तोड़ा जाता है. हालांकि, कई स्थानों पर चंद्रमा को जल चढ़ाने की मान्यता है और इसके साथ ही पारण किया जाता है.

यह भी पढ़ेंः क्या है Karwa Chauth 2022 मनाने का सही तरीका? जान‌ लें ये जरूरी बातें

अहोई अष्टमी के दिन शाम 06.13 बजे से तारों के दर्शन करने का समय शुरू हो रहा है. जो माताएं चंद्रमा को देखकर व्रत तोड़ती हैं, उन्हें देर रात तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा क्योंकि कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय बहुत देर से होता है. अहोई अष्टमी की रात 11:24 बजे चंद्रोदय होगा.