Karwa Chauth me Chalni puja: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को करवा चौथ (Karwa Chauth 2022) का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं तो पति की उम्र बढ़ जाती है. इसलिए सुहागिन महिलाएं इस दिन सुबह-सुबह सरगही खाकर पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं. इसके बाद रात में चांद की पूजा करती हैं और छलनी से पति का चेहरा देखने के बाद व्रत खोलती हैं. पूजा के बाद महिलाएं भोजन करने में सक्षम हो जाती हैं. मगर सवाल ये है कि आखिर करवा चौथ की पूजा में छलनी से चांद और फिर पति का चेहरा क्यों देखती हैं?

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करवाचौथ पर छलनी से चांद क्यों देखते हैं?

करवा चौथ की कथा में लिखा है कि एक साहूकार के 7 बेटे और एक बेटी वीरवती होती है. सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे और धूमधाम से बहन वीरावती की शादी करवाई थी. शादी के बाद उसका पहला करवाचौथ पड़ा था और वो संयोगवश मायके में ही पड़ा था. शाम होते ही वीरवती भूख-प्यास से व्याकुल होकर बेहोश हुई. भाईयों को अपनी बहन की हालत देखकर दुख होता है और वे बहन को खाने के लिए कहते हैं.

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ऐसे में वह कहती है कि चांद निकले बिना वो खाना कैसे खाए. इसके बाद उसके भाइयों ने एक योजना सोची और एक भाई पेड़ पर चढ़कर छलनी से दिया दिखाने लगा और दूसरे भाई ने कहा कि चांद निकल गया है. ये सुनकर वीरावती उठी और दीपक की रोशनी को चांद समझकर अर्घ्य देकर भोजन करने लगी.

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वीरावती ने जैसे ही पहला निवाला खाया तो उसके खाने में बाल आया. इसके बाद छींक आ गई और जैसे ही तीसरा कौर उठाया तो पति की मौत की खबर आ गई. इसके बाद वीरावती ने पूरे साल चतुर्थी के व्रत किए और अगले साल फिर से किया. इस बार उसने पूरे विधि से व्रत रखा और चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोला.

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ऐसी मान्यता है कि मां करवा की कृपा से उसका पति भी जीवित हो उठा. तब से ऐसा माना जाता है कि चांद को छलनी लेकर दीपक की रोशनी से देखा जाए फिर पति का चेहरा देखा जाए तो व्रत सफल होता है.