भारत के मशहूर एथलीट का 91 साल की उम्र में 18 जून 2021 को चंडीगढ़ के एक अस्पताल (PGIMER) में निधन हो गया. मिल्खा सिंह के जीवन की कई ऐसी बाते हैं जिनको सुनकर आप भी यही सोचेंगे कि जितनी परेशानियों से इस दिग्गज ने सामना किया है, शायद ही कोई और कर सके.

1947 में हुए भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय मिल्खा सिंह ने अपने 8 भाई- बहनों और माता-पिता को अपनी आंखो के सामने दम तोड़ते हुए देखा. विभाजन में जब मौत अपना तांडव दिखा रही थी किसी भी तरह अपने आप को जिंदा रखा. ट्रेन में लटक-लटक कर दिल्ली पहुंचने वाले मिल्खा सिंह ने कई रातें दिल्ली के पुराने किले में एक रिफ्यूजी कैम्प में काटीं. टिकट के बिना ट्रेन में सफर किया तो उन्हें जेल में डाल दिया गया. एक गिलास दूध के लिए फौज में रहते हुए दौड़ लगाई और एक दिन दुनिया के सबसे बड़े एथलीट बन गए. यकीन मानिए यह सब सिर्फ एक व्यक्ति के साथ ही हुआ था. मिल्खा सिंह यकीनन सिर्फ भारतीयों के लिए ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोगों के लिए एक प्रेरणा का श्रोत थे.

ये भी पढ़ें:मिल्खा सिंह के बारे में ये 10 बातें नहीं जानते, तो खुद को फैन कहना छोड़ दो

जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा था ‘आप दौड़े नहीं उड़े हो’

साल 1960 में, पाकिस्तान ने भारत-पाकिस्तान एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मिल्खा सिंह को आमंत्रित किया था. पाकिस्तान चाहता था कि उनके सर्वश्रेष्ठ धावक अब्दुल ख़ालिक और भारत के मिल्खा सिंह के बीच पाकिस्तान में ही एक दौड़ का आयोजन किया जाए . लेकिन विभाजन के समय पाकिस्तान से मिली कड़वी यादों के चलते मिल्खा ने पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया. बाद में भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कहने पर मिल्खा पाकिस्तान गए.

ये भी पढ़ें: मिल्खा सिंह के निधन पर फरहान अख्तर हुए इमोशनल, पर्दे पर निभा चुके हैं किरदार

बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में मिल्खा सिंह ने बताया था कि जब दौड़ शुरु हुई तो दर्शक पाकिस्तान ज़िंदाबाद..अब्दुल ख़ालिक ज़िंदाबाद, चिल्ला रहे थे. मिल्खा ने जब टेप को छुआ तो वह ख़ालिक से करीब दस गज आगे थे. दौड़ ख़त्म हुई तो ख़ालिक मैदान पर ही लेटकर रोने लगे. जिसके बाद मिल्खा सिंह ने उनकी पीठ थपथपाई और खेल के परिणामों को दिल से ना लगाने की नसीहत दी. मिल्खा सिंह को पदक देते समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति फ़ील्ड-मार्शल अय्यूब खां ने उन्हे कहा, ”मिल्खा आज तुम दौड़े नहीं, उड़े हो. मैं तुम्हें फ़्लाइंग सिख का ख़िताब देता हूं.”

मिल्खा सिंह ने साल 1956 और 1964 के ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. वर्ष 1959 में उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया. मिल्खा सिंह ने अपने सभी मेडल देश को दे दिए हैं. जो जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम नई दिल्ली में रखें गए हैं.

ये भी पढ़ें: मौत दरवाजे पर खड़ी थी, फिर भी दूसरों की परवाह में लगे थे दिग्गज मिल्खा सिंह