हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा शिव के जटाओं में अवतरित हुई थी. इसके बाद इनकी उत्पत्ति पृथ्वी पर हुई. मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने की वजह से इस दिन को गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक दृष्टि से हिंदू धर्मावलंबियों में गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) का विशेष महत्व होता है. इस दिन लोग गंगा में स्नान करते हैं और मां गंगा की विधि-विधान से पूजा अर्चना भी करते हैं.

यह भी पढ़ें: सड़क पर मिले पैसों को उठाना शुभ या अशुभ? जानें इससे जुड़ी सभी बातें

ऐसी मान्यता है कि गंगा जयंती के दिन प्रात: काल उठकर गंगा जी में स्नान करके विधि-विधान से मां गंगा की पूजा उपासना करके लोग सभी पापों से मुक्ति पा सकते हैं. इसके अलावा आर्थिक संकट भी दूर हो जाता है.

जानिए गंगा सप्तमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

गंगा सप्तमी वैशाख मास शुक्ल पक्ष की शुरुआत- 7 मई, शनिवार, दोपहर 2 बजकर 56 मिनट

वैशाख मास शुक्ल पक्ष सप्तमी का समापन- 8 मई, रविवार, शाम 5 बजे तक

वैशाख मास शुक्ल पक्ष गंगा सप्तमी के पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक

यह भी पढ़ें: नहीं मिल रही कर्ज से मुक्ति? तो जरूर अपनाएं ये वास्तु टिप्स, घर में आएगा धन

गंगा सप्तमी का व्रत कब रखें?

गंगा सप्तमी की उदयातिथि 8 मई को है. ऐसे में गंगा सप्तमी 8 मई को मनाई जाएगी. जो व्यक्ति गंगा सप्तमी का व्रत रखना चाहते हैं वह 8 मई 2022 को व्रत रख सकते हैं. बता दें कि लोगों के पास पूजा के लिए शुभ समय 2 घंटे 41 मिनट तक रहेगा.

जानिए गंगा सप्तमी का महत्व

हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी का विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि भागीरथ ने अपने पुरखों को तारने के लिए कठोर तपस्या की. उसके बाद गंगा का अवतरण हुआ और मां गंगा ने चलाकर उनके पुरखों को तारा था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

यह भी पढ़ें: महिलाओं के चेहरे के तिल बताते हैं उनका भाग्य, जानें इनका खास महत्व