आजकल नौकरी (Jobs) को लेकर हर तरफ बहुत मारामारी है. भारत
में नौकरी का तो यह आलम है कि चपरासी की पोस्ट के लिए भी लाखों लोग, वो भी हायर
एजुकेशन लेने वाले प्रोफेशनल लोग तक अप्लाई कर देते हैं. भारत में स्वीपर और
चपरासी के पद को बहुत छोटा माना जाता है. लेकिन आपको बता दें कि एक ऐसी जगह है
जहां चपरासी और स्वीपर के पदों पर नौकरी करने वालों को 8 लाख रुपये तक की सैलरी (Salary) और
दो छुट्टी भी मिलती हैं, हो सकता है कि आप इस बात पर यकीन न कर पाएं. लेकिन यह सच
है, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,
ऑस्ट्रेलिया में इन दिनों स्वीपर की भारी कमी हो गई है. जिसके चलते चपरासी
की सैलरी इतनी ज्यादा हो गई है. इसके बावजूद भी इन पदों पर लोग काम करने को तैयार
नहीं हैं.

यह भी पढ़ें:कृषि विज्ञान केंद्र के इन पदों पर निकली वैकेंसी, शीघ्र ऐसे करें आवेदन

सप्ताह में सिर्फ 5 दिन करना होगा काम

ऑस्ट्रेलिया (Australia) में इन पदों पर काम करने वाले
लोगों को सप्ताह में सिर्फ पांच दिन ही काम करना होगा. इसके अलावा दो दिन उनकी
छुट्टी रहेगी. वहीं अगर रोजाना काम करने के घंटों की बात करें, तो उन्हें 8 घंटे
ही काम करना होगा. इसके साथ साथ कई जगह पर तो इससे भी ज्यादा सैलरी ऑफर की जाती
है. लेकिन फिर भी लोगों का मिलना मुश्किल हो रहा है.

यह भी पढ़ें:MPSC Recruitment: मेडिकल ऑफिसर के 400 से अधिक पदों पर भर्ती, जानें डिटेल

अच्छा खासा दिया जाता है ओवरटाइम

इतनी अच्छी खासी सैलरी, छुट्टियां और ओवरटाइम
मिलने के बाद भी लोग इन पदों पर काम करने के लिए तैयार नहीं हैं. टीवी9 भारतवर्ष
की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एब्सोल्यूट डोमेस्टिक्स कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर जो
वीस ने बताया कि, सफाइकर्मियों
की शॉर्टेज देखते हुए कंपनी ने कई नए ऑफर भी निकाले हैं. जैसे कि अगर कोई सफाईकर्मी
ओवर शिफ्ट काम करना चाहता है, तो
उसे 3600 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से एक्स्ट्रा पैसे दिए जाएंगे. इसके बाद भी स्वीपर
का काम करने वाले लोग ढूंढने से नहीं मिल रहे हैं.

यह भी पढ़ें:NABARD Recruitment 2022:मैनेजर पदों पर भर्ती, जानें वेतन से लेकर योग्यता तक

शानदार है इन पदों का सालाना पैकेज

ऑस्ट्रेलिया में इन पदों के लिए दिया जाने वाला
सालाना पैकेज करीब 96 लाख है. ऑस्ट्रेलिया के अर्बन कंपनी के अनुसार, सपाईकर्मियों
की सैलरी बढ़ाकर दोगुने के आस-पास कर दी गई है. यहां तक कि कंपनियां सफाई कर्मचारी
को 4700 रुपये प्रति घंटे का भुगतान करने को भी तैयार हैं. जो कि सालाना करीब 96
लाख के आस-पास हो जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी लोगों को इन पदों
पर काम करना मंजूर नहीं है.