अनिल देशमुख नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के नता हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने लगाए हैं. परमबीर सिंह ने कहा था कि अनिल देशमुख ने गृहमंत्री रहते हुए सचिन वाझे समेत मुंबई पुलिस के कई अधिकारियों को 100 करोड़ रुपये प्रति महीने उगाही करने का निर्देश दिया था. 

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कौन हैं अनिल देशमुख? 

अनिल देशमुख NCP के नेता हैं और शरद पवार के खास आदमी हैं. 70 साल के अनिल देशमुख महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र से आते हैं. वह नागपुर के कटोल विधानसभा के रहने वाले हैं. उन्होंने साल 1995 में कटोल विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने के बाद 1999, 2004, 2009 और 2019 में विधायकी के चुनाव जीते और विधानसभा पहुंचते रहे. वह 2014 में चुनाव हार गए थे. 2014 में आई बीजेपी गठबंधन की सरकार के अलावा वह 1995 से लगभग हर टर्म में मंत्री रहे हैं. 

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अनिल देशमुख ने 1992 में जिला परिषद का चुनाव लड़ा और जीता था. 1995 में निर्दलीय विधायक चुने जाने के बाद उन्हें बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार में स्कूली शिक्षा और सांस्कृतिक विभाग मंत्रालय का जिम्मा मिला था. शरद पवार ने साल 1999 में कांग्रेस से अलग होकर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया और अनिल देशमुख भी पार्टी में शामिल हो गए. वह 1999 में फिर विधायक बने, लेकिन इस बार NCP से. 2004 में चुनाव जीतने पर उन्हें पीडब्ल्यूडी मंत्रालय सौंपा गया. साल 2009 में भी वह विधायक चुने गए, फिर उन्हें मंत्री पद मिला. 

2019 विधानसभा चुनाव में देशमुख ने जीत दर्ज की और महाविकास आघाड़ी गठबंधन सरकार में गृहमंत्री बनाए गए. इससे पहले वह महाराष्ट्र में गुटखा खाने पर प्रतिबंध लगाने को लेकर चर्चा में आए थे. 

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परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख के ऊपर क्या आरोप लगाए हैं?

परमबीर सिंह ने 25 मार्च को अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने दावा किया कि देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे समेत अन्य पुलिस अधिकारियों को बार और रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा. 

अनिल देशमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के पास वाहन में विस्फोट सामग्री पाये जाने के मामले और इस मामले में तथा ठाणे के कारोबारी की हत्या में कथित भूमिका को लेकर सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद से आलोचना का सामना कर रहे थे.

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