वट सावित्री पूजा 30 मई दिन सोमवार को है. ये व्रत पत्नी अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ्य जीवन के लिए रखती है. इस दिन महिलाएं बरगद के पड़े की पूजा करती हैं और पेड़ की परिक्रमा करते हुए कलावा बांधती है. शादी के बाद जब महिलाएं इस व्रत को करती हैं तो कुछ खास उपाय भी करने होते हैं. इसमें दान-पुण्य की बातें शामिल हैं जिसके बारे में हम आपको बताते हैं.

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वट सावित्री व्रत करने का सही तरीका

शादी करने के बाद महिलाओं को ये व्रत करना जरूरी हो जाता है. महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए ऐसा व्रत करती हैं जिसमें उन्हें पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर बरगद के पेड़ की परिक्रमा करते हुए पूजा करनी होती है. जब महिलाएं शादी के बाद पहली बार ये व्रत करती हैं तो उन्हें एक सुहागिन के लिए जरूरी सभी चीजें जैसे नई साड़ी, चूड़ियां, श्रृंगार का सामान, मिठाई और फल जैसी चीजों का किसी जरूरतमंद सुहागिन महिला को दान करना चाहिए. अगर आप चाहें तो इसके साथ आप उन्हें कुछ शगुन के तौर पर रुपया भी दे सकते हैं. ऐसा करने से शादीशुदा महिला का दांपत्य जीवन अच्छा बीतता है.

वट सावित्री व्रत कैसे करते हैं.

वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री

 वट सावित्री पूजा करने से पहले आप पूजा में लगने वाले समानों को एक बार देख लें. अगर कुछ छुट गया हो तो आप इसे व्रत शुरू करने से पहले खरीद सकते हैं. इस पूजा के लिए बांस की लकड़ी से बना बेना (पंखा), लाल और पीले रंग का कलावा, अगरबत्ती या धूपबत्ती, पांच प्रकार के 5 फल, तांबे के लोटे में पानी, पूजा के लिए सिन्दूर (बिना इस्तेमाल किया हुआ) और लाल रंग का वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए इन सामग्रियों की जरूरत होती है.

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