तीरथ सिंह रावत ने देहरादून में बुधवार को उत्तराखंड के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इस मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर रावत को बधाई दी. उन्होंने कहा, “उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर तीरथ सिंह रावत को बधाइयां. उनके पास वृहद प्रशासनिक और सांगठनिक अनुभव है. मुझे विश्वास है कि उनके नेतृत्व में राज्य विकास की नयी ऊंचाइयों को छुएगा.”

बीजेपी सांसद तीरथ सिंह रावत को बुधवार को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था. उन्होंने त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जगह ली. केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में संपन्न हुई विधायक दल की करीब 30 मिनट तक चली बैठक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विधायक दल के नेता के रूप में पौड़ी गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत के चुने जाने की घोषणा की थी. सूत्रों के मुताबिक खुद त्रिवेन्द्र सिंह ने तीरथ को विधायक दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया.

बीजेपी विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, पार्टी महासचिव व उत्तराखंड मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा, निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित सभी सांसद और विधायक मौजूद रहे थे.

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पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के करीबी माने जाने वाले तीरथ सिंह रावत प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष तथा प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं. विधायक दल के नेता के रूप में रावत के नाम की घोषणा के बाद प्रदेश मुख्यालय में उनके समर्थकों ने जमकर जश्न मनाया और आतिशबाजी की.

नेता चुने जाने के बाद तीरथ सिंह रावत ने कहा कि वह मिलजुल कर और सबको साथ लेकर काम करेंगे. संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने नयी जिम्मेदारी के लिए पार्टी नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्हें जो दायित्व सौंपा गया है, वह उसका निर्वहन पूरी निष्ठा से करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी ने मुझे यह मौका दिया है और उसके लिए मैं अपने नेतृत्व का बहुत आभारी हूं.’’ उन्होंने कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी गयी है, उसे अच्छी तरह से निभाएंगे और जनता के लिए लिए काम करेंगे.

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रावत ने राज्य और केंद्र में कई सांगठनिक पदों पर कार्य किया है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पौढ़ी गढवाल से पार्टी का उम्मीदवार बनाया और शानदार जीत दर्ज कर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री खंडूरी के पुत्र मनीष को 3,02,669 मतों के भारी अंतर से हराया था.

मौके पर मौजूद केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह ने कहा, ‘‘उत्तराखंड के सामने जिस तरह की चुनौतियां हैं, उसमें राज्य को एक अच्छा नेता मिला है.’’ मुख्यमंत्री पद की दौड में शामिल माने जा रहे केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी तीरथ सिंह रावत को एक अच्छी पसंद बताया. उन्होंने कहा, ‘‘तीरथ सिंह वास्तव में एक अच्छी पसंद हैं. अब निश्चित रूप से उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा जीतेगी.’’

उल्लेखनीय है कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. रावत के खिलाफ राज्य के भाजपा विधायकों के एक वर्ग की शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं. इनमें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले विधायक भी थे. आम जन मानस में रावत की छवि को लेकर भी इन विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष चिंता जताई थी.

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इन परिस्थितियों के मद्देनजर रमन सिंह और गौतम ने पिछले दिनों राज्य का दौरा किया और विधायकों सहित पार्टी के अन्य नेताओं से रायशुमारी की थी. इसके बाद से ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत को पद से हटाए जाने को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे.

सिंह और गौतम ने बीजेपी अध्यक्ष को एक रिपोर्ट भी सौंपी थी. इसके बाद रावत को दिल्ली भी तलब किया था. रावत ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की थी. रावत को हटाने का बीजेपी का फैसला पार्टी के प्रादेशिक क्षत्रपों की मुख्यमंत्री की पसंद को नजरअंदाज करने की अब तक की प्रक्रियाओं के विपरीत है.

पार्टी के इस फैसले के पीछे प्रमुख वजह यह मानी जा रही है कि यदि रावत अपने पद पर बने रहते तो बीजेपी को राज्य विधानसभा के चुनाव में बहुत भारी पड़ सकता था. ठीक वैसा ही जैसा झारखंड में रघुबर दास को मुख्यमंत्री बनाए रखने से 2020 के विधानसभा चुनाव में हुआ. उत्तराखंड में अगले साल के शुरुआती महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. अब स्पष्ट है कि पार्टी तीरथ सिंह रावत के चेहरे को आगे रख आगामी विधानसभा चुनाव में उतरेगी.

गढ़वाल के कलगीखल विकासखंड के सीरों में नौ अप्रैल 1964 को जन्मे तीरथ सिंह रावत छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. वह हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. राज्य के गठन के बाद वह यहां की पहली सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे.

रावत को मुख्यमंत्री बनाए जाने का भाजपा नेतृत्व को फैसला चौंकाने वाला रहा. मुख्यमंत्री पद की दौड़ में धन सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद अजय भट्ट और अनिल बलूनी के नामों की चर्चा थी.

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