भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुए 75 साल हो गए हैं. 14 अगस्त 1947 को ब्रिटिश के वायसराय माउंटबेटन ने भारत और पाकिस्तान को अलग करने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिया था. जिसके बाद जमीन से लेकर सरकारी सम्पत्ति तक, हर एक विभाग का बंटवारा हुआ जिसमें सेना का बंटवारा सबसे प्रमुख था.  ब्रिटिश इंडियन आर्मी ने भी बंटवारे की खबर अपने सभी सैनिकों को पहले से ही दे दी थी. इस तरह 14 अगस्त 1947 के ही दिन भारत और पाकिस्तान के बीच सेना का बंटवारा हो गया था.

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वो आखिरी आदेश जिसने बंटवारा कर दिया

साल 1947 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी की हर छावनी को दिल्ली सैन्य मुख्यालय से एक टेलीग्राम पहुंच गया था. यह ब्रिटिश इंडियन आर्मी का भारत के लिए उनका आखिरी आदेश था. उनके आखिरी संदेश ने सेना को पूरी तरह से बांट दिया था. पहले पाकिस्तान के स्वतंत्रता के प्रस्ताव पर लॉर्ड 

माउंटबेटन ने हस्ताक्षर किए फिर भारत के स्वतंत्रता के प्रस्ताव पर. इसके बाद 14-15 अगस्त की रात के बाद दोनों देश आजाद थे.

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वो टेलीग्राम क्या था और कैसे बंटवारा हुआ

ब्रिटिश इंडियन आर्मी का 14 अगस्त 1947 को भारत में आखिरी दिन था. अगले दिन से उसके आदेश भारत में मान्य नहीं माने जाते. जिसके बाद 14 अगस्त को ब्रिटिश इंडियन आर्मी के अफसरों के पास एक लाइन का टेलीग्राम पहुंचा. भारत में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के फील्ड मार्शल क्लाउड ओचिनलेक ने उस एक लाइन के आदेश में लिखा, ब्रिटिश इंडियन आर्मी के आदेश आज से निरस्त हो जाएंगे. ये इस आर्मी का आखिरी आदेश है. इस आदेश के बाद पहले से ही बांटी जा रहीं भारतीय और पाकिस्तानी सेनाएं अलग हो गईं.

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बंटवारे के समय ब्रिटिश इंडियन आर्मी में कुल 4.0 लाख भारतीय सैनिक थे. जिनमें से 2.6 लाख हिंदू और सिख सैनिक और अफसरों को भारतीय सेना में भेजे गया तो 1.4 लाख मुस्लिम पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए.

आजादी तो मिल गई थी लेकिन बंटवारे के दंगों के चलते हालात काफी खराब हो गए थे.  जिस कारण से महात्मा गांधी कलकत्ता में थे. उन्होंने दंगों के चलते आजादी के जश्न में शामिल होने से इनकार कर दिया था. हर तरफ मौत का भयंकर तांडव चल रहा है. दोनों देश की सेना और पुलिस इस बीच स्थिति को किसी तरह सुधारने की कोशिश में लगी हुई थीं.  

बतां दें, इस साल भारत 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर साल की तरह इस बार भी देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर ध्वजारोहण करेंगे.

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