ताज महल परिसर में चार युवकों को भगवा झंडा लहराते हुए पकड़े जाने के एक दिन बाद सीआईएसएफ ने मंगलवार को कहा कि वह मुगलकालीन स्मारक में अपनी निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्रित करने के तंत्र की समीक्षा करेगा ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो.

चारों युवकों पर धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच कथित रूप से शत्रुता को बढ़ावा देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.

ताज महल की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) पर है. एएसआई (आगरा परिक्षेत्र) के अधीक्षण पुरातत्वविद, वसंत स्वर्णकार ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘चूंकि यह सुरक्षा में सेंध है, इसलिए हमने सीआईएसएफ से अगले दो से तीन दिन में यह समझने के लिए रिपोर्ट मांगी है कि क्या हुआ था.’’

पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किये गये चारों युवक एक दक्षिणपंथी संगठन के सदस्य हैं और वे सोमवार दोपहर बाद पूर्वी द्वार से ताज महल के अंदर आए थे. उन्होंने भगवा झंडा लहराया और अपनी इस गतिविधि का दस सैकंड का वीडियो यूट्यूब पर डाला.

सुरक्षा नियमों के तहत एएसआई के स्मारकों पर आने वाले सभी पर्यटकों की मेटल डिटेक्टर से जांच की जाती है और वे अपने साथ पोस्टर या अन्य लिखित सामग्री नहीं ले जा सकते. हालांकि सेल्फी स्टिक का उपयोग प्रतिबंधित नहीं है.

कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के बाद ताज महल को जब पुन: पर्यटकों के लिए खोला गया तो इसके द्वारों पर पर्यटकों की शारीरिक जांच नहीं की जा रही.

सीआईएसएफ के कमांडेंट राहुल यादव ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘पर्यटक परिसरों के अंदर हर तरह के कपड़े ला सकते हैं. उन्हें रुमाल या दुपट्टे जैसे कपड़ों के टुकड़े ले जाने से रोकना मुश्किल है और ये कपड़े अलग-अलग रंग के हो सकते हैं और इनके धार्मिक निहितार्थ निकाले जा सकते हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हम अपनी निगरानी को अद्यतन कर रहे हैं, खुफिया जानकारी एकत्रित करने के तंत्र को मजबूत कर रहे हैं और गश्त भी बढ़ा रहे हैं. कुछ आंतरिक कदम हैं, जिन पर हम विचार कर रहे हैं ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो.’’

यादव ने कहा, ‘‘हमें पर्यटकों के प्रति भी संवेदनशीलता रखनी होगी और उनकी सुविधा को दिमाग में रखना होगा.’’ सीआईएसएफ की शिकायत पर चारों युवकों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और अपराध कानून संशोधन कानून की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है.