भारत में 2 अप्रैल दिन शनिवार को रमजान का चांद दिखाई दिया है जिसके साथ पाक महीने की शुरुआत भी हो गई है. चांद दिखने के बाद 3 अप्रैल से पहला रोजा रखा जाएगा और इसका ऐलान जामा मस्जिद के शाही इमाम ने किया है. चांद दिखने के बाद उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने ईदगाह पहुंचकर नमाज पढ़ी और वहां मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने उनको नमाज पढ़ाई. पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी रमजान के पाक महीने की मुबारकबाद इस्लामिक भाईयों और बहनों को दी है.

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पीएम ने दी रमजान के चांद की मुबारकबाद

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके एक कार्ड शेयर किया जिसके कैप्शन में लिखा, ‘रमजान की शुरुआत पर बधाई.’

वहीं कार्ड पर लिखा है, ‘रमजान के पाक महीने की शुरुआत होने पर आप सभी को बधाई देता हूं. आशा करता हूं कि ये पाक महीना दूसरों की मदद करने के लिए आपको प्रेरित करे. इसके साथ ही ये पाक महीना शांती, प्यार और भाईचारा लेकर आए.’ इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि रमजान 2 साल बाद हम लोग आजादी की तरह खुशी से मनाने वाले हैं. लोगों ने कोविड-19 के कारण रमजान को खुलकर सेलिब्रेट नहीं किया लेकिन अब साफ-सफाई का ख्याल रखते हुए हम रमजान और ईद अच्छे से मना पाएंगे.

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कैसे शुरू हुई रोजा की परंपरा?

रिपोर्ट्स के मुताबिक रमजान में रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी से शुरू हुई. मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत करके मदीना पहुंचने के एक साल के बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म दिए. इस तरह से दूसरी हिजरी में रोजा रखने की परंपरा इस्लाम में शुरू हुई. दुनिया के अलग-अलग धर्मों में रोजा रखने की परंपरा है. ईसाई, यहूदी और हिंदू धर्म में अपने-अपने तरीकों से रोजा रखते हैं. मुस्लिमों में सूर्य उगने से पहले सहरी करते हैं और सूर्य डूबने के कुछ समय बाद इफ्तारी की जाती है.

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