भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज शाम 7 बजे इंडिया गेट (India Gate) पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया. इसके बाद पीएम मोदी ने ‘कर्तव्य पथ’ का उद्घाटन किया. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने राजपथ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. राजपथ राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का रास्ता है, जिसकी कुल लंबाई 3.20 किलोमीटर है. राजपथ पर ही हर वर्ष गणतंत्र दिवस पर परेड निकलती है. चलिए अब आपको बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्तव्य पथ का उद्घाटन करने के बाद देश को संबोधित करते हुए क्या-क्या कहा.

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कर्तव्य पथ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें

1. आज के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम से सभी देशवासी जुड़े हुए हैं. आजादी के अमृत महोत्सव में देश को आज एक नई प्रेरणा, नई ऊर्जा मिली है. आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं. आज जो हर तरफ ये नई आभा दिख रही है, वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है.

2. गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानी राजपथ आज से इतिहास की बात हो गया है. हमेशा के लिए मिट गया है. आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है. मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं.

3. आज इंडिया गेट के समीप हमारे राष्ट्रनायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विशाल मूर्ति भी स्थापित हुई है. गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी. आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है.

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4. सुभाष चंद्र बोस ऐसे महामानव थे जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे. उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था. उनमें साहस था, स्वाभिमान था. उनके पास विचार थे, विजन था. उनमें नेतृत्व की क्षमता थी, नीतियां थी.

5. अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता! लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया. उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया.

6. कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है. ये भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है. यहां जब देश के लोग आएंगे तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वॉर मेमोरियल, ये सब उन्हें कितनी बड़ी प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्तव्यबोध से ओत-प्रोत करेंगे.

7. राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे. राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी. उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी. आज इसका आर्किटैक्चर भी बदला है और इसकी आत्मा भी बदली है.

8. आज के इस अवसर पर मैं अपने उन श्रमिक साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने कर्तव्यपथ को केवल बनाया ही नहीं है, बल्कि अपने श्रम की पराकाष्ठा से देश को कर्तव्य पथ दिखाया भी है.

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9. जब मैं श्रमिकों से मिला तो मैंने उनसे कहा कि इस बार 26 जनवरी को जिन्होंने यहां पर काम किया है वो परिवार के साथ 26 जनवरी के कार्यक्रम में मेरे विशेष अतिथि रहेंगे.

10. मैं देश के हर एक नागरिक का आह्वान करता हूं. आप सभी को आमंत्रण देता हूं. आइए इस नवनिर्मित कर्तव्यपथ को आकर देखिए. इस निर्माण में आपको भविष्य का भारत नजर आएगा. यहां की ऊर्जा आपको हमारे विराट राष्ट्र के लिए एक नया विजन देगी. एक नया विश्वास देगी.