वरिष्ठ बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से प्रत्याशी के रूप में खड़ा नहीं किए जाने के बाद ये तय हो गया था कि नकवी अब सरकार का हिस्सा नहीं रहेंगे. इस तरह से अब मोदी सरकार में एक भी मंत्री मुसलमान नहीं है. खबर है कि बीजेपी नकवी को कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है. 

राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी के रूप में खड़ा नहीं किए जाने के बाद खबर थी कि नकवी को बीजेपी रामपुर उपचुनाव में अपना लोकसभा प्रत्याशी बना सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में नकवी गुरुवार (7 जुलाई) से किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहेंगे. 

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मोदी सरकार के एक और मंत्री जदयू कोटे से आरसीपी सिंह की भी राज्यसभा सदस्यता 7 जुलाई को खत्म हो रही है. ये दोनों नेता अब किसी भी सदन के सदस्य नहीं होंगे. सैयद जफर इस्लाम 4 जुलाई को और एमजे अकबर 29 जून को अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. अब बीजेपी के पास दोनों सदनों में कोई मुस्लिम चेहरा नहीं है. 

मुख्तार अब्बास नकवी 2010 से 2016 तक यूपी से राज्यसभा सदस्य रहे हैं. इसके बाद 2016 से वह झारखंड से राज्यसभा थे. नकवी ने पहली बार 1998 में लोकसभा का चुनाव जीता था और तब वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के राज्य मंत्री बनाए गए थे.

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इसके बाद नकवी 26 मई 2014 में मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री बने. 12 जुलाई 2016 को नजमा हेपतुल्ला के इस्तीफे के बाद उन्हें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला. 30 मई 2019 को मोदी कैबिनेट में शामिल हुए और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय उनके पास बना रहा.

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अब कयास ये भी हैं कि मुख्तार अब्बास नकवी को बीजेपी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है. हालांकि, केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान का भी नाम इस पद के लिए चर्चा में है.