मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को दिल्ली हाईकोर्ट से हरी झंडी मिल गई है. हाईकोर्ट ने सेंट्रल विस्टा पर सुनवाई करते हुए इसे जरूरी बताया और कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम जारी रहेगा. कोर्ट ने याचिका करने वाले पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया है.

सरकार की ओर से सफाई देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर एक गलत कहानी गढ़ी जा रही है. इस पर महामारी के बहुत पहले फैसला ले लिया गया था. संसद का नया भवन बनाना इसलिए जरूरी है क्योंकि पुराना भवन सेस्मिक ज़ोन 2 में आता था, अगर तेज भूंकप आए तो अब ये भवन सेस्मिक ज़ोन 4 में है.”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब 2012 में मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष थीं तो उनके एक OSD थे जिन्होंने आवास मंत्रालय के सचिव को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि एक फैसला ले लिया गया है कि एक नई संसद भवन बननी चाहिए. 

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हरदीप पुरी ने प्रोजेक्ट के पक्ष में एक और तर्क देते हुए कहा, “आजादी के समय हमारी जनसंख्या 350 मिलियन के करीब थी. संसद भवन में हमें जगह की जरुरत होती है ताकि संसद सदस्य बैठ सकें. राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब से यह मांग की जा रही है. कुल खर्चा 1300 करोड़ रुपये के आसपास है.”

वैक्सीनेशन के लिए पैसे की कमी नहीं है, पर्याप्त पैसा है

हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “कहा जा रहा है 20,000 करोड़ रुपये मरामारी के दौरान खर्च कर रहे हैं ये वैक्सीनेशन कार्यक्रम में लगाईये. केंद्र ने वैक्सीनेशन के लिए 35,000 करोड़ आवंटित किया है. वैक्सीनेशन के लिए पैसे की कमी नहीं है, पर्याप्त पैसा है। वैक्सीन की उपलब्धता दूसरी बात है.” 

पुरी ने आगे कहा, “पहली बात तो 20,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा कहां से आया? जिसके मन में जो आता है बोलता है. 51 मंत्रालयों के लिए ऑफिस, मेट्रो के साथ जोड़ना, नया संसद भवन, 9 ऑफिस के भवन, न्यू इंदिरा गांधी सेंटर फॉर परफार्मिंग आर्ट्स सब मिलाकर खर्चा शायद 13,000-15,000 करोड़ आएगा.”

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