करीब 22 साल पहले जब पाकिस्तान के कुछ घुसपैठियों ने कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था तो भारतीय सेना ने उन घुसपैठियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन विजय’ चलाया. इस ऑपरेशन में भारत के 527 जवान शहीद हो गए थे और 1300 से ज्यादा घायल हो गए थे.

इस युद्ध में भारतीय सेना के निडर जवान विक्रम बत्रा भी शामिल थे. विक्रम बत्रा उन 527 जवानों में से एक थे जो भारत माता के लिए शहीद हो गए. विक्रम बत्रा ने 7 जुलाई 1999 कारगिल युद्ध की सबसे मुश्किल प्वाइंट में से एक 4875 पर मोर्चा संभाला और दुश्मनों को खदेड़ दिया. आज ही के दिन (9 सितंबर 1974) उस विक्रम बत्रा का जन्म हुआ था जिसकी बहादुरी के कसीदे हर कोई पढ़ता है.

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जब टीवी पर कहा था- ये दिल मांगे मोर

कारगिल की लड़ाई से कुछ महीने पहले जब कैप्टेन विक्रम बत्रा अपने घर पालमपुर लौटे तो वो अपने दोस्तों को ‘ट्रीट’ देने ‘न्यूगल’ कैफे चले गए थे. वहां दोस्त ने कहा, “अब तुम फौज में हो. अपना ध्यान रखना…” इसके बाद कैप्टन विक्रम बत्रा ने तो जवाब दिया था, “चिंता मत करो. या तो मैं जीत के बाद तिरंगा लहरा कर आउंगा या फिर उसी तिरंगे में लिपट कर आउंगा. लेकिन आउंगा ज़रूर.”

परमवीर चक्र विजेताओं पर किताब ‘द ब्रेव’ लिखने वाली रचना बिष्ट रावत ने कैप्टन विक्रम बत्रा के बारे में बात करते हुए कहा, “उनका करिश्मा और शख़्सियत ऐसी थी कि जो कोई भी उनसे मिलता उन्हें कभी भूल नहीं पाता था. जब उन्होंने 5140 की चोटी पर कब्जा करने के बाद टीवी पर ‘ये दिल मांगे मोर’ कहा था, तो उन्होंने पूरे देश की जनता का दिल जीत लिया था.”

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इस सीरियल को देख फौजी बनने की ठानी थी

भारतीय सेना में शामिल होने के बारे में विक्रम ने साल 1985 में आए दूरदर्शन के एक सीरियल ‘परमवीर चक्र’ को देखकर सोचा था. विक्रम के भाई विशाल बत्रा ने बताया, “उस समय हमारे यहाँ टेलिविजन नहीं हुआ करता था. इसलिए हम अपने पड़ोसी के यहाँ टीवी देखने जाते थे. मैंने कभी नहीं सोचा था कि कहानिया हमने उस सीरियल में देखी वो हमारे परिवार के लिए सच हो जाएगी .”

बता दें, कैप्टेन विक्रम बत्रा की लव स्टोरी भी काफी फेसम है. उनकी गर्ल फ्रेंड डिंपल चीमा चंडीगढ़ में रहती थीं. इस समय वह उम्र 46 साल है और एक टीचर हैं. उन्होंने आज तक शादी नहीं की रचना बिष्ट रावत ने कहा, “डिम्पल ने खुद मुझे बताया कि पिछले 20 सालों में कोई भी ऐसा दिन नहीं बीता जब उन्होंने विक्रम को याद नहीं किया हो.”

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