कारगिल युद्ध में शहीद और परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता की कहानी युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने अपने देश के लिए जो  त्याग और बलिदान दिए उसे कोई नहीं भूल सकता. जितनी लोकप्रिय कहानी उनके बलिदान की है कुछ उतनी ही अनोखी उनकी प्रेम कहानी भी रही थी. एक ऐसी प्रेम कहानी जो आज के युवाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है.

बता दें कि विक्रम बत्रा पर बनी बॉलीवुड फिल्म ‘शेरशाह’ (Shershaah) OTT प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर 12 अगस्त को रिलीज हो गई है. इस फिल्म में विक्रम बत्रा का रोल एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा निभा रहे हैं और कियारा आडवाणी ने उनकी प्रेमिका का रोल निभाया है. 

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फिल्म ‘शेरशाह’ की रिलीज़ पर कैप्टन विजय बत्रा को उनके जज्बे और प्रेमिका डिंपल चीमा के साथ उनकी प्रेम कहानी के लिए भी याद किया जा रहा है. कारगिल युद्ध में विक्रम बत्रा भारत के दुश्मनों के सामने अपनी जान की परवाह किए बगैर लड़ते रहे. जिसके चलते कैप्‍टन विक्रम बत्रा को बहादुरी के लिए दिए जाने वाला भारत का सबसे बड़ा पुरस्कार परम वीर चक्र उनके मरने के बाद दिया गया. आइए अब दोनों की लव स्टोरी पर एक नजर डालते हैं-  

किस्मत ने दोनों को मिलाया

डिंपल चीमा और विक्रम बत्रा पहली बार चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी में मिले थे. यह बात साल 1995 की है. दोनों ने एमए में एडमिशन लिया था लेकिन दोनों ने ही इसे पूरा नहीं किया. समाचार साइट ‘द क्विंट’ को डिंपल ने बताया कि किस्‍मत के चलते दोनों पास आए थे.

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इसके बाद साल 1996 में विक्रम बत्रा का सलेक्‍शन इंडियन मिलिट्री अकैडमी (आईएमए) देहरादून में हो गया था. डिंपल के अनुसार दोनों अकसर मनसा देवी मंदिर और गुरुद्वारा श्री नाडा साहिब जाया करते थे. एक बार परिक्रमा करते समय कैप्टन बत्रा ने कहा, ‘बधाई हो मिसेज बत्रा’, आपको शायद पता नहीं चला पर हमने साथ में चार परिक्रमा ले ली है. डिंपल के अनुसार इतना सुनकर वह कुछ नहीं कह सकीं.

बिल्कुल फिल्मी तरीके से हुई थी शादी

जिसके बाद दोनों रिलेशनशिप में आ गए थे. उसके कुछ समय बाद डिंपल ने उनसे शादी के बारे में पूछा तो बिल्कुल फिल्मी अंदाज में विक्रम ने अपने वॉलेट से ब्‍लेड निकाला और अपना अंगूठा काटकर खून से डिंपल की मांग भर दी. डिंपल कहती हैं कि यह उनकी पूरी लाइफ का सबसे अनमोल पल था. कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत के बाद भी डिंपल उनका इंतजार करती रहीं और उन्होंने दूसरी शादी नहीं की.

दुश्मनों ने दिया था ‘शेहशाह’ का नाम

कैप्‍टन विक्रम बत्रा की बहादुरी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्‍तानी सेना ने भी मानी. पाकिस्‍तानी सेना कैप्टन विक्रम बत्रा को  ‘शेरशाह’ के नाम से बुलाते थे. 7 जुलाई 1999 को जब उनकी शहादत हुई उस समय उनकी डेल्टा कंपनी ने पॉइंट 5140 को पर जीत हासिल कर ली थी और पाकिस्तान की पॉइंट 4750 और पॉइंट 4875 पोस्ट को तबाह कर दिया था. मरने से पहले उन्होंने तीन दुश्मन सैनिकों को भी मार गिराया था. जिसके बाद उनका यह नारा ‘ये दिल मांगे मोर’ काफी ज्यादा मशहूर हुआ था.

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