पंजाब कांग्रेस में बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिल रहा है. पंजाब कांग्रेस में मंगलवार (28 सितंबर) को नवजोत सिंह सिद्धू ने अचानक से प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं, इसके कुछ देर बाद ही पार्टी के कोषाध्यक्ष गुलजार इंदर चहल ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद दो दिन पहले कैबिनेट में शामिल हुई राजिया सुल्ताना ने भी पद से इस्तीफा दे दिया है इसके बाद पार्टी के कार्यकर्ता हदप्रद हैं. हाल ही में पार्टी ने दोनों को नई जिम्मेदारी सौंपी थी. लेकिन अचानक से दोनों नेताओं का इस्तीफा पंजाब कांग्रेस में नए घमासान की ओर इशारा कर रहा है. दोनों नेताओं ने असल किस वजह से पार्टी से इस्तीफा दिया है ये बातें अब तक साफ नहीं हुई है.

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गुलजार इंदर चहल को पंजाब कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष के रूप में सात दिन पहले 21 सितंबर को औपचारिक रूप से नियुक्त किया गया था. वहीं, चरणजीत सिंह चन्नी के नए सीएम बनने से पहले ही सिद्धू ने प्रदेश अध्यक्ष पद को संभाला था. उनके इस पद पर आते ही अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. अब इस तरह से सिद्धू और गुलजार चहल के इस्तीफे ने पार्टी के अंदर अस्थिरता पैदा कर दी है.

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सिद्धू ने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को भेजा है. उन्होंने अपने इस्तीफे वाले खत में लिखा, किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट समझौते से शुरू होती है, मैं पंजाब के भविष्य को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता हूं. इसीलिए मैं पंजाब प्रदेश अध्यक्ष के पद से तुरंत इस्तीफा देता हूं. हालांकि उन्होंने ये भी लिखा कि वह कांग्रेस में बने रहेंगे.

सिद्धू को 23 जुलाई को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. उनके पद पर आने के बाद ही अमरिंदर सिंह काफी नाराज हो गए और उन्हें सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. यही नहीं उन्होंने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया. वहीं, अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के इस्तीफे पर कहा, मैंने तुमसे कहा था…वह स्थिर व्यक्ति नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए उपयुक्त नहीं है.

ऐसा कहा जा रहा है कि सिद्धू पंजाब में कैबिनेट विस्तार जिस तरह से हुआ उससे खुश नहीं थे. बताया जाता है कि मंत्रियों के चुनाव के लिए उनकी राय नहीं ली गई थी. राहुल गांधी ने उन्हें मीटिंग में शामिल नहीं किया था. हालांकि, उन्हें पहले मीटिंग में शामिल किया गया था लेकिन इसके बाद दोबारा नहीं बुलाया गया.

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