फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ के एक सीन में सलीम अनारकली को तोहफे में कांटे देता है, इस तोहफे को अनारकली आंखों से लगाकर कहती है कि ‘कांटों को मुरझाने का खौफ नहीं होता साहेबे आलम’… यह फिल्मी सीन कहीं न कहीं मधुबाला की असल जिंदगी का हिस्सा भी है. खूबसूरती और हुनर की बेमिसाल अदाकारा को गुजरे 53 साल हो चुके हैं, लेकिन दुनिया आज भी मधुबाला को नहीं भूली है. शोहरत के आसमान को छूने वाली मधुबाला को असल जिंदगी में कभी मोहब्बत की नाकामी के कांटे मिले तो कभी असफल शादी की चुभन. यही नहीं दिल की बीमारी ने उन्हें कम उम्र में ही दुनिया से अलविदा कहने पर मजबूर कर दिया था.

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मधुर भूषण के साथ अरविंद कुमार मालवीय

जब भी बात फिल्मी सितारों की मोहब्बत चलती है तो मधुबाला और दिलीप कुमार की मोहब्बत का जिक्र लाजिमी हो जाता है. जिस तरह सिनेमाई पर्दे पर उनकी मोहब्बत को देखने के लिए लोग बेताब रहते थे, असल जिंदगी में भी उनकी मोहब्बत करीब नौ साल परवान चढ़ी. दोनों की सगाई भी हुई, लेकिन यह रिश्ता निकाह होने से पहले ही खत्म हो गया. आखिर क्यों नहीं हो सकी दोनों की शादी? क्या मधुबाला के पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे ? मधुबाला की बायोपिक बनने से उनकी बड़ी बहनों को क्यों ऐतराज है? ऐसे ही कई सवालों को लेकर मधुबाला की छोटी बहन मधुर भूषण से हुई यह खास बातचीत.

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मधुर भूषण

‘अब्बा ने चोपड़ा साहब से लोकेशन बदलने को कहा था’

कई लोग बातें करते हैं कि आपा यानी मधुबाला और दिलीप साहब की शादी हमारे अब्बा ने नहीं होने दी थी. वह नहीं चाहते थे कि मधुबाला शादी करें, क्योंकि फिर घर का खर्च कैसे चलेगा. यह बातें बिलकुल गलत है. हमारे घर में किसी को इस शादी से ऐतराज नहीं था. हमें तो यही लगता था कि दोनों एक-दूसरे के लिए ही बने हैं. भाईजान (दिलीप कुमार) हमारे मजहब के थे, वह भी पठान थे तो भला किसी को क्यों ऐतराज होता. दोनों अलग सिर्फ एक जिद की वजह से हुए थे. बात सिर्फ इतनी थी कि बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘नया दौर’ की शूटिंग ग्वालियर में चल रही थी. वहीं एक दूसरी फिल्म की शूटिंग भी चल रही थी, जहां लोगों ने फिल्म में काम करने वाली महिलाओं पर हमला कर दिया था. उनके कपड़े तक फाड़ दिए थे. इस घटना से हमारे वालिद काफी घबरा गए थे. उन्होंने शूटिंग लोकेशन बदलने के लिए कहा, जिसे चोपड़ा साहब ने मना कर दिया. अब्बा ने आपा को जाने नहीं दिया और मामला अदालत तक पहुंच गया. कोर्ट में बहस के वक्त दिलीप साहब भी चोपड़ा साहब के पक्ष में ही बोलते थे. इस के चलते अब्बा दिलीप साहब से खफा हो गए थे. इसके बाद दिलीप साहब ने कई बार आपा से कहा कि चलो हम शादी कर लें, लेकिन आपा यही कहतीं कि मैं भी तैयार हूं. दिलीप साहब ने कई बार आपा से कहा कि चलो हम शादी कर लें, लेकिन आपा यही कहतीं कि मैं भी तैयार हूं. आप बस एक बार घर आकर अब्बा से माफी मांग कर गले लग जाओ.इस बात को ना दिलीप साहब ने माना और इसी बात को लेकर आपा ने अपने रिश्ते को खत्म कर दिया, क्योंकि वह जितनी खूबसूरत थीं, जितनी बेहतरीन अदाकारा थीं उतनी ही अच्छी बेटी भी थीं. उन्होंने बाप की इज्जत को तरजीह दी ना कि अपनी मोहब्बत को. मेरे अब्बा ने कभी उनसे सगाई तोड़ने के लिए नहीं कहा था.

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हमें सेट पर जाने की इजाजत नहीं थी

हम 11 भाई बहन थे. अब्बा की अच्छी नौकरी थी, लेकिन उनकी नौकरी चली गई और हमारे बुरे दिन शुरू हे गए. गुरबत ने हमें घेर लिया था. तब मजबूरी में आपा को दिल्ली से मुम्बई आना पड़ा. वरना हम तो ऐसे परिवार से हैं जहां फोटो भी नहीं खिंचवा सकते थे. आपा भले ही फिल्म लाइन में थीं, लेकिन हम बहनों ने कभी फिल्मी सेट नहीं देखा था. जब आपा की फिल्म आती थी तो हम बुर्का ओढ़ कर जाते थे. आपा भी बुर्के में ही होती थीं. सच कहूं तो वह मुमताज आपा से मधुबाला बहुत मजबूरी में बनी थीं. अब्बा पेशावर के पठान और पढ़े-लिखे पक्के मुसलमान थे. वह अपनी दूसरी बेटियों को कभी फिल्म के सेट पर जाने की इजाजत नहीं देते थे. जहां तक मेरे फिल्म में काम करने का सवाल है तो मैंने दो फिल्में कीं थी. एक शादी से पहले और एक शादी के बाद.

मधुर भूषण

हमें उनके नमक का हक अदा करना चाहिए

आपा ने घर के हलातों की वजह से बहुत कम उम्र में काम शुरू कर दिया था. उन्हीं की वजह से हम 10 भाई बहनों का खर्च चलता था।.उन्होंने हमारे लिए बहुत किया. अब हमारी बारी है. वह अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मैं चाहती हूं कि उनकी बायोपिक बना कर हम उन्हें एक छोटा-सा नजराना दे सकें. इसके लिए मेरी बड़ी बहनें तैयार नहीं हैं. उन्हें लगता है कि बायोपिक बनेगी तो तमाम बीती बातों का जिक्र होगा. उसमें दिलीप साहब से नाकाम मोहब्बत से लेकर किशोर कुमार भाई से हुई शादी, जो चल ना सकी उसका जिक्र भी होगा. मैं कहती हूं कि यह सब बातें तो पहले से ही सब जानते हैं. इसमें छिपाने जैसा कुछ नहीं है, लेकिन मेरी बड़ी बहनों को समझ नहीं आ रहा है. मैं तो यह जानती हूं कि हम उनकी बायोपिक बनाकर ही उनके नमक का हक अदा कर सकते हैं.

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मधुबाला की छोटी बहन मधुर भूषण की लिखी किताब फरवरी में रिलीज़ होगी. 14 फरवरी को मधुबाला का जन्मदिन है, इस किताब में मधुर ने मधुबाला और अपने अब्बा के बारे में बात की है.

आखिरी सांस तक करूंगी कोशिश

मैंने खुद को तो बदल लिया है, लेकिन मेरी बहनें आज भी पुराने ख्यालात की हैं. एक बहन 93 साल की हैं, एक 90 की और एक बहन 88 साल की उम्र में हैं. इतनी उम्र में उनके ख्यालातों को बदलना बहुत मुश्किल काम है, लेकिन मैं अपनी आखिरी सांस तक आपा की बायोपिक बनाने के लिए काम करूंगी. मेरे दोस्त अरविंद कुमार मालवीय मेरी हर तरह से मदद कर रहे हैं. पैसे भी उन्हीं के होंगे, बस मेरी बहनों का रजामंदी मिलना जरूरी है.

नोटः इस इंटरव्यू को 6 जून  2021 को पब्लिश किया गया था. इसे कुछ अपडेट के साथ रिपब्लिश की गई है.

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