WHO के अनुसार दुनियाभर में लगभग 30 करोड़ से ज़्यादा लोग इस समस्या से ग्रस्त है, भारत में यह आंकड़ा 5 करोड़ से ज़्यादा है जो कि एक बहुत गंभीर समस्या है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं के डिप्रेशन की समस्या से ग्रस्त होने की सम्भावना ज़्यादा होती है. मानसिक कारको के अलावा हार्मोन्स का असंतुलित होना, गर्भावस्था और अनुवांशिक विकृतियाँ भी डिप्रेशन का कारण हो सकती है.

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यहां हम आपको बता रहे हैं कि आप किस आधार पर यह समझें कि आप अब धीरे धीरे डिप्रेशन से आजाद हो रहे हैं. डिप्रेशन से उबरने में साइकोलॉजिस्‍ट आपकी मदद करते हैं. इस तरह मरीज नॉर्मल लाइफ में आकर डिप्रेशन से आजाद महसूस करता है.

डिप्रेशन से उबरने के लक्षण

1.बेहतर महसूस करना

अगर आप पहले से अधिक क्‍लीयर माइंड के साथ सोच पा रहे हैं, आपको भूख लग रही है, मानसिक रूप से थकावट नहीं लग रहा है या आपको बाहर की दुनिया अच्‍छी लग रही है तो ये डिप्रेशन से उबरने के कुछ पॉजिटिव लक्षण हो सकते हैं.

2.डेली रूटीन फॉलो करना

अगर आप रोज सुबह उठकर ऑफिस या काम के लिए तैयार हो रहे हैं, पर्सनल हाइजीन मेंटेन करने लगे हैं, समय पर खाते हैं, दोस्‍तों और परिवार के लोगों से मिलने लगे हैं तो ये डिप्रेशन से उबरने का एक लक्षण हो सकता है.

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3.झुंझलाहट कम

जैसे-जैसे व्‍यक्‍त‍ि डिप्रेशन से उबरता है उसमें झुंझलाहट के लक्षण भी कम होने लगते हैं और इंसान ज्‍यादातर मुस्‍कुराते हुए ही नजर आने लगता है.

4.काम में लग रहा है मन

डिप्रेशन में काम पर फोकस नहीं होता और ब्रेन के काम करने की क्षमता कम हो जाती है. जो लोग पहले टॉर्गेट अचीव करने में सबसे आगे थे, डिप्रेशन के लक्षण उन्‍हें सबसे पीछे लाकर भी खड़ा कर सकता है. लेकिन जैसे जैसे लोग डिप्रेशन से उबरने लगते हैं काम पर बेहतर तरीके से फोकस कर पाते हैं.

डिस्क्लेमर: ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए अपने डॉक्टरों से सलाह लें.

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