कोविड-19 रोगियों और संक्रमण से उबर चुके लोगों में म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बढ़ते मामलों के बीच एक्स्पर्ट्स ने मंगलवार को लोगों को सलाह दी कि फंगस के रंग से नहीं घबराएं, बल्कि संक्रमण के प्रकार, इसके कारण और इससे होने वाले खतरों पर ध्यान देना जरूरी है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा था कि 18 राज्यों में म्यूकरमाइकोसिस के 5,424 मामले आए हैं जो कोविड-19 के रोगियों या इससे स्वस्थ होने वाले लोगों में पाया जाने वाला खतरनाक संक्रमण है.

पिछले कुछ दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों से रोगियों में ब्लैक फंगस के अलावा व्हाइट फंगस (White Fungus) और यलो फंगस (Yellow Fungus) के भी मामले सामने आये हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ये दोनों भी म्यूकरमाइकोसिस हैं.

ये भी पढ़ें: भारत के बाद इस देश में भी सामने आए ब्लैक फंगस के मामले

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने कहा कि ‘ब्लैक, ग्रीन या यलो फंगस’ जैसे नामों का इस्तेमाल करने से लोगों के बीच डर पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा, “आम लोगों के लिए, मैं कहूंगा कि काले, पीले या सफेद रंग से दहशत में नहीं आएं. हमें पता लगाना चाहिए कि रोगी को किस तरह का फंगल संक्रमण हुआ है. जानलेवा या खतरनाक रोग पैदा करने वाला अधिकतर फंगल संक्रमण तब होता है जब रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.” पांडा ने कहा, “इसलिए मूल सिद्धांत यही है कि फंगल संक्रमण से लड़ने की क्षमता या प्रतिरक्षा प्रणाली कैसी है.”

गाजियाबाद में एक निजी अस्पताल के एक डॉक्टर ने दावा किया कि 24 मई को उनके यहां एक रोगी में ब्लैक, व्हाइट और यलो तीनों तरह के फंगस संक्रमण का पता चला. शहर के राजनगर इलाके में स्थित हर्ष अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ बी पी त्यागी ने दावा किया कि छिपकलियों जैसे सरीसृपों में यलो फंगस देखा गया है, लेकिन मनुष्यों में अब तक इसके मामले देखने में नहीं आये.

ये भी पढ़ें: ‘पाप पर उतारू है सरकार’, गंगा किनारे दफन शवों से रामनामी हटाए जाने पर योगी पर बिफरीं प्रियंका गांधी

उन्होंने कहा, “मरीज अत्यंत कमजोरी, बुखार और नाक बहने जैसे लक्षणों के साथ मेरे पास आया था. एंडोस्कोपी में यलो फंगस दिखाई दी.” डॉक्टर के अनुसार रोगी पेशे से वकील हैं और उन्हें कोविड-19 था. उन्होंने घर में रहकर उपचार किया और आठ से 10 दिन तक ये समस्याएं रहने के बाद अस्पताल आये.

त्यागी के अनुसार, “अब उनका इलाज किया जा रहा है. चिंता की कोई बात नहीं है और फंगस समाप्त हो जाएगी. अगर वह समस्या शुरू होने के एक या दो दिन बाद ही मेरे पास आ जाते तो उनकी दिक्कत अब तक समाप्त हो जाती.” उन्होंने बताया कि कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को यह संक्रमण होने का जोखिम अधिक होता है और उक्त रोगी मधुमेह से ग्रस्त है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ में लाइफ-कोर्स एपिडेमियोलॉजी के प्रमुख प्रोफेसर डॉ गिरधर आर बाबू ने कहा कि फंगल संक्रमण के कारण और खतरों को पहचानना जरूरी है. डॉ बाबू ने कहा कि यह समझना भी जरूरी है कि कुछ लोगों को फंगल संक्रमण का जोखिम अधिक क्यों होता है और इसके बढ़ते मामलों के क्या कारण हैं. एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी कहा है कि म्यूकरमाइकोसिस को इसके रंग के बजाय नाम से समझना ज्यादा बेहतर है.

ये भी पढ़ें: जानें किस तारीख से और कहां खेले जाएंगे IPL 2021 के बचे हुए मैच?

With PTI inputs