सार्वजनिक क्षेत्र की भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) की सरकार निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. लेकिन पिछले साल के घाटे के बाद कंपनी को उम्मीद से अधिक मुनाफा हुआ है. इसके बाद कंपनी ने 12,851 करोड़ रुपये के लाभांश (Dividend) की घोषणा की है. इसमें से आधे से अधिक राशि सरकार को जाएगी.

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पीटीआई के मुताबिक, शेयर बाजार को दी सूचना में BPCL ने कहा, ‘कंपनी के निदेशक मंडल ने 2020-21 के लिये प्रति इक्विटी 58 रुपये अंतिम डिविडेंड देने की सिफारिश की है. इसमें 10 रुपये के शेयर पर एक बारगी 35 रुपये का विशेष लाभांश शामिल है.’ यह सिफारिश शेयरधारकों की मंजूरी पर निर्भर है.

यह डिविडेंड कुल 12,581.66 करोड़ रुपये बैठता है. इसमें 7,592.38 करोड़ रुपये का विशेष डिविडेंड शामिल है.

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सरकार को इस लाभांश में से 6,665.76 करोड़ रुपये के साथ लाभांश वितरण कर भी मिलेगा. सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदरी बेच रही है.

यह लाभांश 2020-21 में पहले दिये गये 21 रुपये प्रति शेयर अंतरिम लाभांश के अतिरिक्त है.

कंपनी ने यह नहीं बताया कि उसने रिकार्ड लाभांश क्यों दिया है. हालांकि, बीपीसीएल ने असम में नुमालीगढ़ रिफाइनरी में 61.5 प्रतिशत हिस्सेदारी ऑयल इंडिया लि., इंजीनियर्स इंडिया लि. और असम सरकार के समूह को बेचकर 9,876 करोड़ रुपये प्राप्त किये.

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दूसरी तरफ, बीपीसीएल ने बीना रिफाइनरी में ओ क्यू एस ए ओ सी (पूर्व में ओमान ऑयल कंपनी) की 36.62 प्रतिशत हिस्सेदारी 2,399.26 करोड़ रुपये में खरीदी.

इस खरीद- फरोख्त में कंपनी को शुद्ध रूप से 7,477 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई. यह राशि बुधवार को घोषित विशेष लाभांश के करीब करीब बराबर है.

कंपनी को वित्त वर्ष 2020-21 में एकल आधार पर 19,041.67 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ. रिकार्ड लाभ का कारण हिस्सेदारी बिक्री के साथ बचे माल भंडार की वजह से रिफाइनिंग मार्जिन बेहतर रहना है.

इससे पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी का लाभ 2,683.19 करोड़ रुपये रहा था.

वित्त वर्ष 2020-21 की जनवरी-मार्च तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 11,940.13 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में 2,777.62 करोड़ रुपये था.

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कंपनी को कच्चे तेल को ईंधन में परिवर्तित करने पर 4.06 डालर प्रति बैरल की कमाई हुई जबकि पिछले साल उसका सकल रिफाइनिंग मार्जिन 2.50 डालर प्रति बैरल था.

इसके अलावा पिछले वित्त वर्ष में कंपनी ने विदेशी मुद्रा के मामले में भी 199.75 करोड़ रुपये का लाभ हासिल किया जबकि इससे पिछले वर्ष उसे इसमें 1,662.34 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.

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