Gardening Tips: जानें गमले में आंवला लगाने का सही तरीका
भारत निस्संदेह विश्व में आंवला का सबसे बड़ा उत्पादक है. सर्दियां भारत में आंवला का मौसम बनाती हैं. बीजों की बुवाई जून-जुलाई के महीनों में होती है और मानसून समाप्त होते ही आप इसे हर जगह पा सकते हैं. प्रमुख आंवला उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, छत्तीसगढ़, असम, बिहार, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान शामिल हैं. साथ ही, इसके औषधीय गुणों को देखते हुए, बहुत से लोग इसे अपने घर में लगाना पसंद करते हैं.
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हालांकि, आंवले का पेड़ काफी बढ़ता है. इससे लोगों को यह लगता है कि, इसे किसी बड़ी और खुली जगह में ही लगाया जा सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है.आंवले को पनपने के लिए खुली जगह चाहिए, लेकिन वह खुली जगह आपके घर की बालकनी या छत भी हो सकती है. आप अपने घर की छत पर गमले में आंवले का पेड़ लगा सकते हैं. आइए जानते हैं तरीका:
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कैसी मिट्टी चाहिए:
आंवले के पौधे के लिए खेत की मिट्टी या काली मिट्टी सबसे ज़्यादा उपयुक्त होती है. इस मिट्टी में रेत/बालू की मात्रा बहुत कम होनी चाहिए.आंवले के पौधे को लगाने के लिए, मिट्टी का गमला सबसे अच्छा विकल्प है. आप बड़ा और गहरा गमला लें, ताकि जब पौधा बढ़ने लगे, तो इसकी जड़ों को फैलने के लिए अच्छी जगह मिले. साथ ही, बीच-बीच में आप पौधे के चारों ओर की मिट्टी को खुरपी से ऊपर-नीचे कर पाएं.
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कौन सा मौसम सही है:
वैसे तो बारिश का मौसम पेड़-पौधे लगाने के लिए सबसे अच्छा होता है. भीषण गर्मी में आंवले के पौधे को हल्की छाया में रखें और नियमित रूप से पानी देते रहें. इसके बाद, बारिश के मौसम में यह बहुत अच्छी तरह से विकसित हो जाएगा. आंवले के पौधे को खुली जगह और अच्छी धूप की जरूरत होती है.
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नियमित रूप से देते रहें खाद:
आंवले के पौधे को आप जितनी ज्यादा खाद और पोषण देंगे, वह उतना ही अच्छा बढ़ेगा. खाद डालने का एक अच्छा तरीका है पानी में गाय का गोबर (यदि गोबर उपलब्ध न हो तो गाय का गोबर खरीद सकते हैं) मिलाकर. इस घोल को 2-3 दिन के लिए छोड़ दें और बीच-बीच में किसी चीज से चलाते रहें. पौधे को पानी देते समय आप इस घोल को पानी में मिलाकर पौधे को दे सकते हैं. यह बहुत अच्छे खाद के रूप में कार्य करता है.
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घर पर बनाएं कीट विकर्षक:
आंवले के पौधे में कीड़े लगने की संभावना रहती है. इसलिए शुरू से ही सावधान रहें. नीम के पत्तों का घोल बनाकर उसमें थोड़ी सी हल्दी मिला लें. इस घोल का नियमित रूप से पौधे पर छिड़काव करते रहें.
नियमित रूप से दे पानी
गर्मियों के दौरान हर सप्ताह में कम से कम एक बार पौधे को पानी दें. गर्मियों के दौरान पौधों के फूलने और सर्दियों के दौरान शुरुआती वसंत तक फल देने का इंतजार करें.
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