Who was Maharishi Vedvyas: भारत ऋषि-मुनियों का देश है जहां कई ऐसे ऋषि हुए जिनकी लोकप्रियता भारत से बाहर भी रही. उनकी ज्ञान भरी बातों से जीवन सार्थक हो जाता है और उनके ज्ञान के आगे सबकुछ बेकार सा लगने लगता है. ऐसे ही एक महर्षि वेदव्यास भी थे जो महाभारत के महान रचयिता (Author of Mahabharata) थे. महर्षि वेदव्यास का पूरा नाम (Maharishi Vedvyas Full Name) महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास था. उनकी जयंती के दिन ही देशभर में गुरु पूर्णिमा भी मनाई जाती है क्योंकि उन्हें सबसे बड़ा गुरु माना जाता था और इस दिन को मनाने का प्रावधान उनके शिष्यों ने शुरू किया था. महर्षि वेदव्यास कौन थे, उनके माता-पिता कौन थे, उनकी पत्नी कौन थी, आज हम आपको उनके बारे में सबकुछ बताते हैं.

यह भी पढ़ें: Happy Guru Purnima Message, Wishes and Quotes in Hindi: गुरु पूर्णिमा पर अपनों को भेजें हार्दिक शुभकामनाएं, शुभ होगा दिन

कौन थे महर्षि वेदव्यास? (Who was Maharishi Vedvyas)

ऐसी मान्यता है कि 3000 ईसा पूर्व आषाढ़ पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. व्यास जी की माता सत्यवती एक मछुआरे की बेटी थीं. पौराणिक कथाओं के अनुसार पराशर ऋषि एक दिन वहां से गुजरे और उन्हें यमुना नदी पार करनी थी तो उन्होंने सत्यवती से मदद मांगी. पराशर सत्यवती की सुंदरता पर मोहित हुए और उन्होंने सत्यवती से एक वारिस के लिए कहा लेकिन सत्यवती ने मना कर दिया. सत्यवती के अनुसार, अगर लोगों को इसके बारे में पता चला तो उनकी पवित्रता पर सवाल उठा जाएगा. इसके बाद पराशर ऋषि ने सत्यवती को मनाने के लिए पास के द्वीप की झाड़ियों में एक गुप्त स्थान बनाया. इसके बाद सत्यवती ने एक शर्त रखी कि उस बात को गुप्त रखा जाए.

यह भी पढ़ें: Guru Purnima Essay in Hindi: गुरु पूर्णिमा पर अपने निबंध में शामिल करें ये पंक्तियां, लोग हो जाएंगे मंत्रमुग्ध

कुछ महीनों के बाद सत्यवती ने कृष्ण द्वैपायन नाम के एक पुत्र को जन्म दिया. वैसे महर्षि वेदव्यास के जन्म की अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं. इसके बाद ऋषि ने सत्यवती का कौमार्य लौटाया और अपने बेटे को उपहार में एक अद्भुत गंध दिया. व्यास जी ने जबाली ऋषि की पुत्री वाटिका से विवाह किया और उन्हें शुक नाम का एक पुत्र भी हुआ. महर्षि वेदव्यास के चार शिष्यों के नाम पैल, जैमिन, वैशम्पायन और सुमंतु था. इन चारों शिष्यों ने वेदों के ज्ञान के प्रसार की जिम्मेदारी ली. वेद व्यास महाभारत, भगवद्गीता और 18 पुराणों के लेखक रहे हैं. उन्होंने वेदों का भी संकलन किया था. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने महाभारत और पुराणों को लिखने में भगवान गणेश की मदद ली थी.

यह भी पढ़ें: Guru Purnima 10 Lines in Hindi: गुरु पूर्णिमा पर 10 पंक्तियां, सुनकर गुरु आपके हो जाएंगे खुश