जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्योहार आने वाला है.
यह त्योहार हर कृष्ण भक्त के लिए बेहद खास होता है और वे इस दिन को खास बनाने के
लिए पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं. कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. यह
व्रत सामान्य व्रत से भिन्न होता है. कहा जाता है कि जन्माष्टमी के दिन अगर पूरे
विधि-विधान से भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की पूजा की जाए तो इसके विशेष फल की प्राप्ति होती है.
इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. आइए जानते हैं जन्माष्टमी से जुड़े
व्रत और पूजा के नियम.

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ब्रह्मचर्य का पालन

जन्माष्टमी का व्रत रखने के लिए एक
दिन पहले व्रत का पालन करना जरूरी है. व्रत 
रात के 12 बजे के बाद शुरू होता है और अगले दिन 12 बजे
श्रीकृष्ण के जन्म के बाद ही व्रत खोला जाता है. ऐसे में इस बात का आप ध्यान जरूर
रखें.

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विशेष लाभ के लिए पूजा

यदि आप जन्माष्टमी पर विशेष फल की
कामना करते हैं तो इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें तिल का भोग लगाएं.
इसी के साथ दोपहर में स्नान करते समय तिल को पानी में मिलाकर इससे स्नान करें.

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माँ लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें

ऐसा माना जाता है की जन्माष्टमी के
दिन भगवन विष्णु के साथ साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए. अगर आप मां
लक्ष्मी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो अपने दरवाजे को कमल के फूलों से सजाएं.
साथ ही उन्हें कमल का फूल चढ़ाए. ऐसा माना जाता है कि कमल का फूल भगवान विष्णु को
बहुत पसंद है, क्योंकि इसे देवी लक्ष्मी का निवास माना जाता है.

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भोग में तुलसी का महत्व

जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पत्तों
का विशेष महत्व है. इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा विधि-विधान से की जाती है. इसके
साथ ही रात के समय कान्हा जी को भोग लगाते समय उसमें तुलसी के पत्ते अवश्य रखना
चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)