Nag Panchami Katha: हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल 21 अगस्त दिन सोमवार को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है जिसमें कई अद्भुत संयोग बने हैं. नाग पंचमी और सावन का सोमवार दोनों ही भगवान शंकर को समर्पित होता है. भगवान शंकर की पूजा के बाद नाग देवता की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है. लोग एक-दूसरे को नाग पंचमी की बधाई दे रहे हैं लेकिन उनमें से कई लोग ही जानना चाहते हैं कि आखिर नाग पंचमी का त्योहार मनाया क्यों जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है, चलिए आपको बताते हैं.

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क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी? (Nag Panchami Katha)

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, द्वापर युग के अंतिम राजा अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित थे. वे अत्यंत धर्मशील और अपनी प्रजा के लिए कई यज्ञ अनुष्ठान करने वाले राजा थे. इसके बाद भी तक्षक नामक सांप ने इन्हें मार दिया था. इससे क्रोधित होकर राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने पृथ्वी से इनके नाश के लिए यज्ञ में सांपों की आहुति देनी शुरू कर दी थी. नागों की माता कद्रू ने अपनी शौतन विनता को धोखा देने के लिए अपने पुत्रों को आज्ञा दी. लेकिन पुत्रों ने माता की आज्ञा का पालन नहीं किया और सौतेली मां को धोखा देने से इंकार कर दिया. माता कद्रू ने नागों को शाप दिया. कद्रू के शाप से नाग जलने लगे और यह दिन सावन मास के शुक्ल की पंचमी तिथि थी.

Nag Panchami 2023
इस साल नाग पंचमी का पर्व 21 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा. (फोटो साभार:Freepik/Unsplash)

इसके बाद नाग ब्रह्मा जी के पास पहुंच गए. ब्रह्मा जी ने इसी दिन नागों को वरदान दिया कि तपस्वी जरत्कारु नाम के ऋषि का पुत्र आस्तिक नागों की रक्षा करेगा.आपको जानकारी के लिए बता दें कि यज्ञ में नागों के समूल नाश के लिए उनकी आहुति के समय जब परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने इंद्र सहित तक्षक को अग्निकुंड में आहुति के लिए मंत्र पाठ किया. तो उस समय आस्तिक ने तक्षक के प्राण की रक्षा की. यह तिथि भी पंचमी ही थी. इस तरह से नागों के अस्तित्व की रक्षा हुई और उसी समय से नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की परंपरा शुरू हुई.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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