Makar Sankranti 2023: हिंदू (Hindu) धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) के पर्व (Festival) का अधिक महत्व है. देश भर के कई अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्यदेव एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. इसलिए इसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है. आइये जानते हैं क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति.

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क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?

मान्यता है कि भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्वामी हैं. इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. पवित्र नदी गंगा भी इसी दिन धरती पर अवतरित हुई थी, इसलिए मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जाता है.

महाभारत में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था. इसका कारण यह था कि उत्तरायण में शरीर छोड़ने वाली आत्माएं या तो कुछ समय के लिए देवलोक चली जाती हैं या उन आत्माओं को पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा मिल जाता है. जबकि दक्षिणायन में शरीर त्यागने के बाद आत्मा को लंबे समय तक अंधकार का सामना करना पड़ सकता है.

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मकर संक्रांति का त्योहार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है.

उत्तर प्रदेश: मकर संक्रांति को यहां पर खिचड़ी पर्व कहा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है.

गुजरात और राजस्थान: तत्तारायण उत्सव के रूप में मनाया जाता है. यहां पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है.

आंध्र प्रदेश: संक्रांति के नाम से तीन दिन का त्योहार मनाया जाता है.

तमिलनाडु: किसानों का यह प्रमुख त्योहार पोंगल के नाम से मनाया जाता है. दाल-चावल की खिचड़ी को घी में पकाकर खिलाया जाता है.

पश्चिम बंगाल: हुगली नदी के किनारे गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है.

असम: इस त्योहार को भोगाली बिहू के नाम से मनाया जाता है.

पंजाब: मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.