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धर्म
की मान्यतानुसार, बच्चे के जन्म के छह दिनों के बाद छठी मनाए जानें का रिवाज
होता है. इसी क्रम में आपको बता दें कि जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण के जन्म के छह
दिन बाद छठी मनाए जाने का प्रावधान है. जिसे कृष्ण छठी के नाम से जाना जाता है. इस
दिन भी काफी धूमधाम से भगवान श्री कृष्ण का पूजन किया जाता है. मान्यतानुसार नवजात
बच्चे की मंगल कामना के लिए छठी पूजन किया जाता है. ऐसे में आपको बता दें कि हर
साल की तरह इस साल भी 24 अगस्त 2022 को छठी मनाई जाएगी. तो चलिए विस्तार से जानते हैं छठी पूजन से जुड़ी
पूजा विधि के बारे में.

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भगवान
श्री कृष्ण की छठी मनाने की विधि

जन्माष्टमी
के पर्व को भगवान श्री कृष्ण के रूप में मनाया जाता है और इसके छह दिन बाद बड़े ही
धूमधाम से छठी का पूजन किया जाता है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद
सबसे पहले बाल गोपाल को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से स्नान करवाया जाता है. इसके
बाद दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भर कर पुन: बाल गोपाल का अभिषेक किया जाता है.
इसके बाद बाल गोपाल को उनके प्रिय रंग पीले रंग के वस्त्र पहनाने के बाद, उनका
ऋंगार किया जाता है. इसके बाद बाल गोपाल को उनका प्रिय भोग लगाया जाता है. इसके
बाद उनका कोई भी पंसदीदा नाम जैसे- लड्डू गोपाल, ठाकुर जी, कान्हा, माधव, आदि नाम रखा जाता है. छठी के बाद
उन्हें उसी नाम से बुलाए जाने का रिवाज होता है.

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कृष्ण
छठी मनाने के पीछे इतिहास

भगवान
कृष्ण की छठी के अवसर पर षष्ठी देवी की पूजा करने का प्रावधान है. प्राचीन ग्रंथों
की मानें, तो ऐसी मान्यता है कि षष्ठी देवी की कृपा से राजा प्रियव्रत का मृतपुत्र
फिर से जीवित हो गया था. इसके साथ ही साथ शास्त्रों में षष्ठी देवी को बच्चों की
अधिष्ठात्री देवी कहा गया है. इसलिए माना जाता है कि नवजात के छठे दिन षष्ठी देवी
की पूजा करने से बच्चा स्वस्थ रहता है और उसकी उम्र लंबी होती है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.