इस वर्ष पोला त्योहार तैयारी बाजारों में दिखनी शुरू हो गई है. बाजार में साज सजावट के साथ अलग-अलग रंगों के साथ डिजाइन में मिट्टी से बने पोला और खिलौने जैसे चूल्हा, मटका, कढाई, गंजी समेत अन्य प्रकार से बने मिट्टी के बर्तन बिकने के लिए दुकानें लगनी शुरू हो गईं है. पोला पिठोरी त्यौहार मनाया जाता है. कई जगह दंगल का भी आयोजन किया जाता है. वहीं सजे हुए बैलौं को किसानों द्वारा घर में लाकर विशेष पूजा की जाती है.

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कैसे मनाते हैं पोला त्योहार?

पश्चात गांव में घुमाया जाता है. हलाकि अभी पोला त्यौहार आने में कुछ दिन बाकी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इस त्यहार को ले कर तैयारी शुरू कर दी गई है. छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है इसलिए यहां कृषि कार्य में बैल का विशेष योगदान होता है, जहां बोआई से लेकर बियासी तक किसान बैल का उपयोग करते हैं. मिट्टी के बैल की पूजा करने के बाद बच्चे मिट्टी के बर्तनों और मिट्टी के बैलों के साथ खेलते हैं.

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कब है पोला त्योहार?

पोला महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में किसानों द्वारा मनाया जाने वाला एक धन्यवाद त्योहार है, जो बैल और बैलों के महत्व को स्वीकार करने के लिए मनाया जाता है, जो कृषि और कृषि गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. यह श्रावण के महीने आमतौर पर अगस्त में पिथौरी अमावस्या के दिन पड़ता है. पोला त्योहार 27 अगस्त को मनाया जाएगा.

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पोला के दौरान, किसान अपने बैलों को खेत में काम नहीं करते हैं, और उस दिन छत्तीस्गार्ज के ग्रामीण इलाकों में स्कूल की छुट्टी होती है. यह त्यौहार मध्य और पूर्वी महाराष्ट्र में मराठों के बीच पाया जाता है. इसी तरह का त्योहार भारत के अन्य हिस्सों में किसानों द्वारा मनाया जाता है, और इसे दक्षिण में मट्टू पोंगल और उत्तर और पश्चिम भारत में गोधन कहा जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)