Bhadrapada Amavasya 2022: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की
अमावस्या (Amavasya) को भाद्रपद अमावस्या (Bhadrapada Amavasya ) के नाम से जाना जाता है. इसे भादों या भादी अमावस्या
के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू (Hindu) धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है, विशेष रूप से पूर्वजों को अर्पण करने, दान देने और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए. इस वर्ष
यह तिथि 27 अगस्त 2022
को पड़ रही है.  

चूंकि भाद्रपद मास भगवान कृष्ण (Lord Krishna)  को समर्पित है,
इसलिए इससे भाद्रपद अमावस्या का महत्व भी बढ़ जाता है.
कुशा (हरी घास) को अत्यधिक फलदायी माना जाता है, इसलिए, इस दिन धार्मिक गतिविधियों, श्राद्ध आदि करने के लिए इसे एकत्र किया जाता है.

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पितृ दोष दूर करने के उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद
अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में कुशा घास मिश्रित जल में तर्पण करने से पितरों
की कृपा मिलती है और पितृ दोष का नाश होने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
इसके साथ ही पितृ शांति मंत्र ‘O
देवतभ्यः पितृभयश्च महायोगीभ्य और चौ. नमः:
स्वाहैं स्वाध्याय नित्यमेव नमो नमः.  का
जाप करें.

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कालसर्प दोष दूर करने के उपाय

जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प का
दोष है और कठिनाइयों का सामना कर रहे होते हैं, उन्हें भाद्रपद अमावस्या पर मंदिर में चांदी
के सांप दान करने या नदी में प्रवाहित करने से शुभ फल मिलते हैं.

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भाद्रपद अमावस्या का महत्व

चूंकि कुशा (हरी घास) धार्मिक
कार्यों को करने के लिए एकत्र की जाती है, इसलिए इस
अमावस्या को कुशा गृहिणी अमावस्या के रूप में जाना जाता है. प्राचीन धार्मिक
शास्त्रों में इसे कुशोत्पतिनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. चूँकि कुश का प्रयोग
अमावस्या की रस्मों को करने के लिए किया जाता है, इसलिए यदि भाद्रपद अमावस्या सोमवार को पड़ती है, तो उसी कुशा का उपयोग 12 वर्षों तक किया
जा सकता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)