Ashadha Purnima 2023: हिंदू कैलेंडर का चौथा महीना आषाढ़ का होता है जो लगभग 1 महीने तक रहता है. आषाढ़ का महीना खत्म होने के बाद सावन का पावन महीना आता है. आषाढ़ के शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन पूर्णिमा होती है और इसी दिन गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2023) मनाई जाती है. महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में गुरु पूर्णिमा का दिन मनाया जाता है. मगर इसी दिन ये दिन क्यों मनाते हैं इसके बारे में बहुत से लोग जानना चाहते हैं. आषाढ़ पूर्णिमा और गुरू पूर्णिमा एक ही दिन क्यों मनाया जाता है चलिए आपको इसका कारण बताते हैं और साथ ही इस दिन का महत्व भी बताएंगे.

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आषाढ़ के समापन पर क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा? (Ashadha Purnima 2023)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. महर्षि वेदव्यास ने महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथ को लिखा था. वेदव्यास जी महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे. महर्षि वेदव्यास जी ने भगवान गणेश से महाभारत की व्याख्यान की थी और गणेश जी ने इसे लिखा था. ऐसा माना जाता है कि आषाढ़ माह के दिन महर्षी जी ने अपने शिष्यों और ऋषि-मुनियों को श्री भागवत पुराण का ज्ञान दिया था. तब उनके उनके शिष्य ये दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं. इस साल गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई दिन सोमवार को पड़ रही है और इस दिन दान-पुण्य का विशेष प्रावधान बताया गया है. गंगा स्नान करने के बाद लोग अपने-अपने गुरू की पूजा करते हैं.

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आषाढ़ी कब है? (Ashadha Purnima 2023 Date)

हिंदू धर्म में हर तिथि को विशेष महत्व दिया गया है. आषाढ़ के आखिरी दिन को आषाढ़ी कहते हैं और इस दिन आम के दान का प्रावधान दशकों से चला आ रहा है. वैसे तो शास्त्रों में इस दिन पंडितों या मान्य लोगों को आम का दान करने के साथ ही भोजन कराया जाता है लेकिन अगर जरूरतमंदों को आप आम-दान और भोजन कराते हैं तो आपको इस दिन का दोगुना फल मिल सकता है. आषाढ़ी हर साल पूर्णिमा के दिन ही मनाई जाती है क्योंकि इसके अगले दिन से सावन का महीना शुरू हो जाता है. इस साल 59 दिनों का सावन पड़ रहा है जिसे भक्त जोरों-शोरों से मनाएंगे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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