पाकिस्तान के संकटग्रस्त प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की एक बैठक बुलाई, जो सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा के लिए देश का सबसे बड़ा फोरम है. सत्ताधारी गठबंधन के एक प्रमुख सहयोगी के विपक्षी गठबंधन के साथ मिल जाने के बाद इमरान खान नेशनल असेंबली में बहुमत खो चुके हैं. विपक्ष ने सरकार के लिए खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. आइए जानते हैं कि सरकार बनाए रखने के लिए इमरान खान को कितनी सीटें चाहिए और क्या है उनकी स्थिति. 

सरकार बनाए रखने के लिए कितनी सीट की जरूरत

विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को 342 सांसदों की नेशनल असेंबली में 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत है. मंगलवार को इमरान खान के गठबंधन के सदस्य मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के विपक्ष के साथ जाने के बाद अब विपक्ष के पास 175 सांसदों का समर्थन है. इमरान खान के पास अब सिर्फ 164 सांसदों का समर्थन है.

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली एक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित निकाय है जिसमें कुल 342 सदस्य होते हैं जिन्हें नेशनल असेंबली (MNA) के सदस्य के रूप में जाना जाता है, जिनमें से 272 सीधे निर्वाचित सदस्य होते हैं और महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए 70 आरक्षित सीटें होती हैं. बहुमत प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए एक राजनीतिक दल को 172 सीटों की जरूरत होती है.

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इमरान सरकार के दो अहम सहयोगियों-मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) और बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) ने उनका साथ छोड़ दिया है.

बता दें कि इससे पहले दो बार पाकिस्तान में प्रधानमंत्रियों को अविश्वास प्रस्ताव के कारण सत्ता छोड़नी पड़ी है. लेकिन 1989 में बेनजीर भुट्टो और 2006 में शौकत अजीज के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गए थे. हालांकि, इस बार परिस्थितियां दूसरी हैं. 

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इमरान ने अविश्वास प्रस्ताव को बताया विदेशी साजिश

इमरान खान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (PTI) जुलाई 2018 में भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के वादे के साथ सत्ता में आई थी. इमरान ने रविवार को इस्लामाबाद में एक बड़ी रैली की जिसमें उन्होंने एक चिट्टी दिखाते हुए दावा किया कि इसमें उनके खिलाफ विदेशी साजिश के सबूत हैं. लेकिन वादा करने के बाद भी इमरान खान ने इस खत को सार्वजनिक नहीं किया है.

पाकिस्तान की संसद के निचले सदन में गुरुवार को इमरान खान के खिलाफ संयुक्त विपक्ष द्वारा उनकी सरकार को गिराने के लिए पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए बैठक होनी है. 

इस बीच प्रधानमंत्री की कैबिनेट के सदस्य सहयोगी दलों से मिल रहे हैं और अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखने का प्रयास कर रहे हैं.

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