कुश्ती (Wrestling) में दो ब्रॉन्ज मेडल दिए जाते हैं. ये ब्रॉन्ज मेडल मैच तय होते हैं ‘रेपेचेज’ (Repechage) से. फाइनल में पहुंचने वाले दो पहलवानों ने जिन-जिन को हराया है उन्हें ब्रॉन्ज मेडल मैच खेलने का एक और मौका मिलता है. इसे ‘रेपेचेज’ कहते हैं. मान लीजिए पहलवान ‘A’ ने फाइनल में पहुंचने के लिए राउंड ऑफ़ 16 में ‘B’ को, क्वार्टरफाइनल में ‘C’ को और सेमीफाइनल मुकाबले में ‘D’ को हराया है. तो ‘रेपेचेज’ नियम के तहत ‘B’ और ‘C’ का मुकाबला होगा और इसमें जीतने वाला खिलाड़ी ‘D’ से ब्रॉन्ज मेडल मैच के लिए भिड़ेगा. ऐसा ही फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे खिलाड़ी के प्रतिद्वंदियों के साथ भी होगा.  

यह भी पढ़ें: कौन हैं रेसलर अंशु मलिक?

ओलंपिक, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और अन्य तरह के स्पोर्टिंग इवेंट में रेसलिंग समेत तमाम स्पोर्ट्स में इस नियम का इस्तेमाल किया जाता है. 

‘रेपेचेज’ शब्द फ्रांसीसी शब्द ‘रेपेचर’ (repecher) से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है बचाव करना. यह एक ऐसा नियम है जो किसी व्यक्ति या टीम को प्रतियोगिता में जल्दी एलिमिनेट होने के बावजूद तीसरे स्थान के लिए लड़ने का दूसरा मौका देता है. 

यह भी पढ़ें: कौन हैं रेसलर बजरंग पुनिया?

एक और मौका क्यों?

प्रतियोगी कुश्ती में प्रत्येक श्रेणी में 16 पहलवान दो ब्रैकेट में बाटें जाते हैं. नियम के पीछे का विचार यह है कि एक होनहार टीम/व्यक्ति को सिर्फ इसलिए नुकसान नहीं उठाना चाहिए क्योंकि उन्हें एक कठिन शुरुआती ड्रॉ दिया गया था.

रेपेचेज को पहली बार ओलंपिक में कब लाया गया था?

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने पहली बार बीजिंग में 2008 के ग्रीष्मकालीन खेलों में ये नियम लागू किया था. इसी साल भारत के पहलवान सुशील कुमार रेपेचेज नियम के पहले लाभार्थी थे, जिन्हें 66 किग्रा स्पर्धा के प्री-क्वार्टर में हार का सामना करना पड़ा था. 

यह भी पढ़ें: कौन हैं रेसलर दिव्या काकरान?

रेपेचेज से भारतीय पहलवानों को कैसे फायदा हुआ?

बीजिंग ओलंपिक के बाद से भारतीयों ने कुल तीन कांस्य पदक जीते हैं. सुशील कुमार ने बीजिंग में रेपेचेज नियम लागू होने के बाद भारत के लिए ओलंपिक में कांस्य पदक जीता.  

योगेश्वर दत्त ने 2012 के लंदन खेलों में कुश्ती में भारत का तीसरा ओलंपिक पदक जीता. वह राउंड-ऑफ-16 में रूसी बेसिक कुदुखोव (Besik Kudukhov) से हार गए जो फाइनल में प्रवेश कर गए. योगेश्वर ने कांस्य पदक प्रतियोगिता में लियोनिद स्पिरिडोनोव (Leonid Spiridonov) को मात देने से पहले रेपेचेज में डग श्वाब (Doug Schwab) और अल्बर्ट बतिरोव (Albert Batyrov) को हराया.

यह भी पढ़ें: कौन हैं रेसलर साक्षी मलिक?

साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने रियो 2016 में तब इतिहास रचा था जब वह रेपेचेज के जरिए कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी थीं. क्वार्टर फाइनल में भारतीय खिलाड़ी वेलेरिया कोब्लोवा (Valeria Koblova) से हार गईं और उन्होंने पुरेवदोरजिन ओरखोन (Purevdorjiin Orkhon) और आइसुलु टाइनीबेकोवा (Aisuluu Tynybekova) को हराकर कांस्य पदक जीता.  

यह भी पढ़ें: कौन हैं रेसलर मोहित ग्रेवाल?

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 की बात करें तो ‘रेपचेज’ के तहत भारत के दो पहलवानों ने ब्रॉन्ज मेडल जीता. मोहित ग्रेवाल ने 125 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में और दिव्या काकरन ने 68 किग्रा फ्रीस्टाइल में ‘रेपचेज’ के तहत ब्रॉन्ज मेडल जीता.