भारत में खेल प्रेमियों की कमी नहीं है और हमारे देश में ऐसे दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं, जो पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा चुके हैं. क्रिकेट, हॉकी, एथलेटिक्स इन सब खेलों में दिग्गज खिलाड़ियों ने दुनिया में अपना जबरदस्त छाप छोड़ा है. जो दशकों बाद भी याद किए जाते हैं. ऐसे ही एक दिग्गज को याद करने के लिए और उनके सम्मान में 29 अगस्त को हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है.

हम बात कर रहे हैं हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद की. मेजर ध्यानचंद की जयंती 29 अगस्त को मनाया जाती है. और इसी दिन को पूरा देश राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता है. मेजर ध्यानचंद का नाम हॉकी के उन बेहतरीन खिलाड़ियों में लिया जाता है. जिनमें असीम प्रतिभा थी और पूरी दुनिया में उनके हॉकी का डंका बजता था.

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मेजर ध्यानचंद के खेल के बदौलत भारतीय हॉकी टीम ने तीन ओलंपिक गोल्ड मैडल हासिल किए थे. उनके हॉकी के खेल को देखकर कई दिग्गज भी कायल थे. सरकार ने ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था.

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. जो आज प्रयागराज से जाना जाता है. वे भारतीय सेना में शामिल हुए थे जब उनकी उम्र महज 16 साल थी. वह शुरू से ही एक खिलाड़ी रहे थे. उनके खेल को देखकर ही उन्हें सेना के अंदर कई पदोन्नति मिली. वे लांस नायक से मेजर तक का सफर तय किया.

कहा जाता है कि ध्यानचंद हॉकी में इतने माहिर थे कि अगर कोई गेंद उनकी स्टिक पर चिपक जाती तो वह गोल मारकर ही दम लेते. एक बार मैच के दौरान उनकी स्टिक तोड़कर जांच की गई थी कि कहीं उसके अंदर कोई चुंबक या कुछ और तो नहीं है. मेजर ध्यानचंद 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे. भारत यहां गोल्ड पर कब्जा किया था.

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ध्यानचंद ने 1926 से 1948 तक अपने करियर में 400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल किए. वहीं, उन्होंने अपने पूरे करियर में लगभग एक हजार गोल दागे. ध्यानचंद को सम्मान देने भारत सरकार ने 2012 में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. हाल ही में सरकार ने खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़ा अवॉर्ड राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया है. ध्यानचंद का निधन 3 दिसंबर 1979 को हुआ था.

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