टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय हॉकी टीम (Indian Men’s Hockey Team) ने जर्मनी (Germany) को 5-4 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल (Bronze Medal) जीत लिया है. 1980 के बाद पहली बार भारत ने हॉकी में ओलंपिक पदक जीता है. भारत के यहां तक पहुंचने का श्रेय भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर व पूर्व कप्तान पीआर श्रीजेश को भी जाता है. वह ब्रॉन्ज मेडल मैच समेत कई अहम मैचों में गोल पोस्ट के सामने एक दीवार बनकर खड़े रहे. श्रीजेश के इस शानदार प्रदर्शन का जश्न उनका गांव भी मना रहा है. एर्नाकुलम जिले के इरुमेली के किसान व श्रीजेश के पिता पीवी रवींद्रन की खुशी का ठिकाना नहीं है. खुशी भी कैसे नहीं होगी उनके बेटे का हॉकी के लिए जुनून और अपने बेटे के इस जुनून के लिए उनका दिया बलिदान कामयाब हो गया है.  

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डेक्कन हेराल्ड में छपी खबर के मुताबिक, ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टरफाइनल में जीत के बाद अपने बेटे पीआर श्रीजेश के शानदार प्रदर्शन से उत्साहित रवींद्रन ने कहा था, “हमें उस पर बहुत गर्व है.” उन्होंने आगे कहा, “सिर्फ मैं और हमारा परिवार ही नहीं, अड़ोस-पड़ोस में सभी रोमांचित हैं और हम सभी अगले मैच में टीम की सफलता के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.”

रवींद्रन ने कहा, “एक गांव में रहते हुए, हॉकी खेलने के लिए ज्यादा सुविधाएं नहीं थी. तिरुवनंतपुरम के जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल में 8वीं कक्षा में एडमिशन लेने के बाद हॉकी ने उनके जीवन में एंट्री मारी फिर वहां से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. लेकिन उनके इस सफर में कई बाधाएं थी. रवींद्रन ने कहा, “मैं एक किसान हूं और ज्यादा कमाता नहीं हूं. उन दिनों, एक गोलकीपर की किट की कीमत 10,000 रुपये होती थी और हम इसे नहीं खरीद सकते थे. किसी तरह, हमने इधर-उधर से पैसे इकट्ठे किए, किट के लिए हमें अपनी गाय भी बेचनी पड़ी थी.” श्रीजेश के पिता रवींद्रन कहते हैं, वह अपनी कड़ी मेहनत के दम पर ही इस मुकाम पर पहुंचा 

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आयुर्वेद की डॉक्टर और श्रीजेश की पत्नी अनीशा ने कहा कि गोल्ड मेडल बस एक हाथ की दूरी पर हैं और उन्हें उम्मीद है कि खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे. अनीशा, खुद भी स्पोर्ट से जुड़ी रही हैं वह लॉन्ग जंप लगाया करती थीं और श्रीजेश की क्लासमेट भी थीं, वह कहती हैं कि उनके  पति हर मैच को एक फ्लो के साथ खेल रहे हैं.

उन्होंने कहा, “वह बहुत समर्पित हैं और हर स्तर पर अपना सर्वश्रेष्ठ देना पसंद करते हैं.” श्रीजेश का परिवार भी पूरे भारत की ही तरह उम्मीद कर रहा है कि भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक मेडल के सपने को जरूर पूरा करेगी.

बता दें कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है. भारतीय हॉकी टीम ने 1980 के बाद पहला ओलंपिक मेडल जीत लिया है. भारत ने जर्मनी को ब्रॉन्ज मेडल मैच में 5-4 के अंतर से हरा दिया. कांस्य पदक प्लेऑफ मुकाबले के चौथे क्वार्टर के आखिरी पलों में जर्मनी ने गोलकीपर हटाकर खेलने का खतरा उठाया, लेकिन यह काम नहीं आया और भारतीय हॉकी टीम ने 5-4 की जीत के साथ इतिहास रच दिया.  

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