अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) के पास शुक्रवार 8 जुलाई 2022 की शाम को बादल फटा है. बादल फटने से कई लोगों के मारे जाने और जख्मी होने की सूचना भी मिली है. ऐसा माना जा रहा है कि बादल फटने के बाद तेजी से फ्लैश फ्लड आया जो टेंट सिटी में प्रवेश कर गया. अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि अक्सर बादल फटने की खबर पर्वतीय इलाकों से ही क्यों आती है? क्या वजह होती है जिससे बादल पहाड़ों पर ज्यादा फटते हैं? अपने इस लेख में हम आपको इन सवालों के जवाब देंगे.

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आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, बादल फटने का मतलब ये नहीं होता कि बादल के टुकड़े हो गए हो. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो जब एक जगह पर अचानक एक साथ भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं. बादल फटने से पानी से भरे बादल की बूंदे तेजी से अचानक जमीन पर गिरती रहती है. इसे फ्लैश फ्लड या क्लाउड बर्स्ट (Cloud Burst) भी कहते हैं. अचानक तेजी से फटकर बारिश करने वाले बादलों को प्रेग्नेंट क्लाउड भी कहते हैं.

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जानिए अचानक क्यों फट जाते हैं बादल

बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं. वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं. बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है. फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है. बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है.

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पहाड़ों पर अक्सर क्यों फटते रहते हैं बादल?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं. पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से बादल आगे नहीं बढ़ पाते. फिर अचानक एक ही स्थान पर तेज बारिश होने लगती है. चंद सेकेंड में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है. पहाड़ों पर अमूमन 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर बादल फटते हैं. हालांकि बादल फटने का दायरा ज्यादातर एक वर्ग किलोमीटर से ज्यादा कभी भी रिकॉर्ड नहीं किया गया.

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पहाड़ों पर बादल फटने की वजह से इतनी तेज बारिश होती है जो बाद में सैलाब बन जाती है. पहाड़ों पर पानी रुकता नहीं इसलिए तेजी से पानी नीचे आता है. वहीं, नीचे आने वाले पानी के साथ मिट्टी, कीचड़ और पत्थरों के टुकड़े भी आते हैं. इस पानी की रफ्तार इतनी तेज होती है कि ये अपने सामने आने वाली हर चीज को बर्बाद कर देता है. एक और बात आपको बता दें कि सिर्फ पहाड़ों पर ही बादल नहीं फटते मैदानी इलाकों में भी बादल फट जाते हैं.