25 अक्टूबर 2022, दिन मंगलवार यानी आज साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) लग रहा है. यह सूर्य ग्रहण भारत के कई हिस्सों में भी दिखाई देगा और इसका सूतक काल भी प्रभावी रहेगा. ग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना होती है, फिर चाहे वो सूर्य ग्रहण हो या चन्द्र ग्रहण. सूर्य ग्रहण लगने पर दिन के समय ही धरती पर अंधेरा छाने लगता है. आइए जानते हैं कि सूर्य ग्रहण कैसे लगता है.

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सूर्य ग्रहण लगने का वैज्ञानिक कारण

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना होती है. बता दें कि जब पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाती है. और सूर्य एक जगह ही स्थित रहता है. लेकिन चंद्रमा पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाता है.और जब चंद्रमा चक्कर लगाते-लगाते सूर्य और पृथ्वी के बीच में एक सीधी लाइन में आ जाता है तब उस कंडीशन में सूर्य ग्रहण लगता है.

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सूर्य ग्रहण के दौरान धरती पर पड़ती हैं घातक किरणें 

इस बात से पता चलता है कि जब चंद्रमा धरती और सूर्य के बीच आ जाता है तो उस समय सूर्य ग्रहण लगता है. सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा धरती पर आने वाले सूर्य के प्रकाश को रोक देता है. उस दौरान सूर्य से निकलने वाली किरणें और भी अधिक घातक बन जाती हैं. और बहुत सारी अल्ट्रावायलेट किरणें धरती पर पड़ने लगती हैं जो कि मनुष्य के ऊपर बहुत ज्यादा दुष्प्रभाव डालती हैं.

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तीन प्रकार का होता है सूर्य ग्रहण 

सूर्य ग्रहण के समय सीधे सूर्य की तरफ नहीं देखना चाहिए, इससे आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और रोशनी भी जा सकती है. सूर्य ग्रहण की दशा हमेशा अमावस्या के दिन होती है. सूर्य ग्रहण के तीन रूप माने जाते हैं.

– पूर्ण सूर्य ग्रहण- जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी में आता है और उस समय सूर्य पूरी तरह से ढक जाता है तो उस समय पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है.

– कुंडलाकार सूर्य ग्रहण- जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी में आता है, और उस समय सूर्य ग्रहण में हमें एक रिंग जैसा प्रतीत होता है तो उसे कुंडलाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं.

– आंशिक सूर्य ग्रहण- जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी में आता है, और उस समय सूर्य का कुछ हिस्सा ही ढक पाता है उसको हम आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं.