Why Parshuram killed his mother in hindi; भारत में परशुराम मंदिर आपको जगह-जगह मिल जाएंगे. हिंदू धर्म में इनको पूजा जाता है और इनका एक अलग स्थान बताया गया है. अक्षय तृतीया के दिन ही परशुराम जयंती मनाई जाती है और जहां-जहां उनका मंदिर होता है वहां-वहां लोग इनकी पूजा करते हैं और भंडारा करवाते हैं. इनसे जुड़ी कई बातें आपने सुनी होंगी लेकिन क्या आपको पता है कि परशुराम ने अपनी मां का वध किया था? धार्मिक कथाओं में इसका अनुसरण है.

यह भी पढ़ें: Parshuram Jayanti 2022: कौन थे भगवान परशुराम? हो गए थे श्रीराम पर क्रोधित

परशुराम ने अपनी माता का वध किया था?

महाभारत के कुछ संस्करणों में परशुराम को क्रोधित ब्राह्मण के रूप में वर्णित किया गया है, जिन्होंने अपनी फरसे से बड़ी संख्या में क्षत्रिय योद्धाओं को मार डाला क्योंकि वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे थे. कुछ संस्करणों में, वह अपनी मां को भी मार डालते हैं क्योंकि उनके पिता ने उन्हें ऐसा करने की आज्ञा दी थी.

परशुराम, हिंदू भगवान विष्णु के 10 अवतारों (अवतार) में से एक हैं. महाभारत और पुराणों में दर्ज है कि परशुराम का जन्म ब्राह्मण ऋषि जमदग्नि और क्षत्रिय वर्ग की राजकुमारी रेणुका के घर हुआ था. जब जमदग्नि को रेणुका पर अपवित्र विचार का संदेह हुआ, तो उन्होंने परशुराम को उनका सिर काटने का आदेश दिया, जो आज्ञाकारी पुत्र ने किया. बाद में, एक क्षत्रिय द्वारा अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए, उन्होंने पृथ्वी पर सभी पुरुष क्षत्रियों को लगातार 21 बार मार डाला (क्योंकि, हर बार, उनकी पत्नियां बच गईं और नई पीढ़ियों को जन्म दिया) और उनके खून से पांच झीलें भर दीं.

पिता ने क्यों दिया था ऐसा आदेश

एक दिन राजा चित्ररथ अप्सराओं के साथ नदी के तट पर विहार कर रहे थे. उसी समय परशुराम की मां रेणुका हवन के लिए जल लेने नदी किनारे आईं. चित्ररथ और अप्सराओं की क्रीणा देखने में वह व्यस्त हो गईं कि वह हवन के लिए सही समय पर जल लेकर नहीं पहुंच सकीं.

ऐसे में पिता ने क्रोधित हो अपने बेटे परशुराम से मां रेणुका का वध करने को कह दिया. पिता जमदग्नि ने परशुराम को ऐसी आज्ञा देने से पहले अपने अन्य दो पुत्रों से भी ऐसा ही करने को कहा था, लेकिन दोनों पुत्रों ने मात्र प्रेम में ऐसा करने से मना कर दिया था. परशुराम ने पिता के आदेश को माना और माता के साथ दोनों भाइयों का भी वध कर दिया.  

हालांकि, आज्ञा पूरी करने पर प्रसन्न पिता से उन्होंने तीन वरदान में तीनों को जीवित करने का वर मांग लिया था और तीनों पुनः जीवित भी हो गए थे. 

यह भी पढ़ें: Eid 2022 Wishes in Hindi: अपनों को दें ईद-उल-फितर की मुबारकबाद, भेजें संदेश

रामायण में उनका सामना भगवान विष्णु के एक और अवतार राम से होता है, जो भगवान शिव का धनुष उठाने और उसे गलती से तोड़ देते हैं, जो परशुराम ने राम के ससुर को दिया था. बाद में राम ने परशुराम को युद्ध के लिए चुनौती दी. परशुराम मालाबार के पारंपरिक संस्थापक हैं और कहा जाता है कि उन्होंने वहां पुरोहित वर्ग के सदस्यों को जमीन दी थी. परशुराम को समर्पित मंदिर पूरे भारत में पाए जाते हैं.

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारी मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं. धार्मिक हिंदू ग्रंथों में इनका जिक्र है. इसमें दी गई किसी बात की पुष्टि Opoyi नहीं करता है.

यह भी पढ़ें: Chanakya Niti: किसी व्यक्ति को परखें तो इन बातों को कभी ना भूलें, जानें