अगर आप कभी कोर्ट में गए हैं या फिल्मों में देखा कि अक्सर न्यायालय में कुछ लोग अपने क्लाइंट की ओर से दलील देते नजर आते हैं. वह वकील होते हैं. काला कोट और व्हाइट शर्ट पहने आपने अक्सर वकीलों को देखा होगा. लेकिन कई लोग इन्हें लॉयल, एडवोकेट बुलाते हैं. आप जानते हैं ये दोनों अलग अलग होते हैं. अगर आप नहीं जानतें तो जान लें कि ये दोनों अलग अलग होते हैं. वैसे इन दोनों में ज्‍यादा अंतर नहीं होता है, लेकिन आपके लिए यह जानना दिलचस्प होगा कि आखिर लॉयर और एडवोकेट में फर्क क्या होता है.

लॉयर कौन होते हैं?

लॉयर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो अभी भी कानून की, एलएलबी की पढ़ाई करने में लगा है, इस व्यक्ति के पास अदालत में केस लड़ने के लिए अनुमति नहीं होती है. क्योंकि बिना पूरी पढ़ाई की वकालत करने के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जा सकता है. हालांकि, ये आवश्यक नहीं है कि कोई भी कानून की पढ़ाई किया हुआ शख्स एडवोकेट हो. लॉयर व्यक्ति को एडवाइज दे सकता है, लेकिन कोर्ट में किसी के लिए केस नहीं लड़ सकता है.

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कौन होते हैं एडवोकेट?

यह वह व्यक्ति होता है, जिसने कानून की पढ़ाई पूरी कर ली होती है और वह कोर्ट के वकील के तौर पर प्रैक्टिस कर रहा होता है. या यूं कहें कि एक एडवोकेट वह व्यक्ति होता है, जिसकी स्टूडेंट लाइफ खत्म हो चुकी होती है. एडवोकेट को स्कॉटिश और दक्षिण अफ्रीका में बैरिस्टर कहा जाता है. हर लॉयर एडवोकेट हो ऐसा जरूरी नहीं है, लेकिन हर ए़डवोकेट लॉयर होता है. अगर कोई व्यक्ति किसी और के लिए केस लड़ता है तो वह एडवोकेट होता है.

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लॉयर और एडवोकेट में खास अंतर

एक लॉयर वह व्यक्ति होता है, जिसने कानून की पढ़ाई और ट्रेनिंग प्राप्त की होती है. लॉयर शब्द एक बहुत ही प्रचलित शब्द है. जबकि एडवोकेट एक विशेष प्रकार का लॉयर होता है जो किसी भी कोर्ट में अपने क्लाइंट का पक्ष रखने के लिए खड़ा हो सकता है.

एडवोकेट का काम अदालत में अपने क्लाइंट का प्रतिनिधित्व करना और उनका पक्ष रखना होता है. वहीं लॉयर का काम होता है कानूनी सलाह देना, किसी मामले में जनहित याचिका दाखिल करना आदि.

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