गुड़हल का फूल एक बहुत ही सुंदर और आकर्षक फूल है. जिस झाड़ी पर गुड़हल का फूल लगता है उसको गुड़हल का पौधा भी कहा जाता है. गुड़हल को अंग्रेजी में Hibiscus का नाम दिया गया है. गुड़हल का फूल दिखने में तो सुंदर होता ही है लेकिन साथ में ही इसके बहुत सारे फायदे भी हैं. गुड़हल के तेल का इस्तेमाल करने से बालों को मजबूती प्रदान होती है. तो चलिए अपने इस लेख में हम आपको गुड़हल के बारे में जानकारी देंगे.

गुड़हल के फूल को हिंदी में जवाकुसुम नाम दिया गया है. कुछ लोग इसे गुड़हल का फूल के नाम से ही जानते हैं. आपको बता दें गुड़हल के फूल कई रंगों के होते हैं. यह लाल, पीला और सफेद रंग में पाए जाते हैं.

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गुड़हल के फूल के उपयोग

गुड़हल के फूल को प्राचीन काल से ही भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जा रहा है. विभिन्न-विभिन्न प्रजातियों में इस फूल का अलग रंग होता है. सफेद रंग के गुड़हल को पीसकर इसका पाउडर बनाकर दवाइयों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. गुड़हल के फूल की चाय भी बनाई जाती है. यह चाय हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है. तो चलिए गुड़हल के फूल के फायदे विस्तृत से जानते हैं.

बालों के लिए फायदेमंद

आज के समय में यह देखा जाता है कि कम उम्र के लड़कों के भी बाल झड़ने लग गए हैं. यह समस्या आम बन चुकी है. बहुत लोग इस परेशानी से जूझ रहे हैं. अगर आप भी बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो गुड़हल का फूल आपके लिए कारगर साबित हो सकता है. गुड़हल की पत्तियां बालों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में बहुत सहायक है.

अगर कोई व्यक्ति अपने बालों को घना करना चाहता है तो उसको गुड़हल की पत्तियां और जैतून की पत्तियां पीसकर एक पेस्ट तैयार कर लेना है और उसको अपने सिर में लगा लेना है. पेस्ट को सर में लगाने के बाद 10 से 15 मिनट ऐसे ही छोड़ दे. उसके बाद आपको अपने बालों को हल्के गुनगुने पानी से धो लेना है. यह तकनीक आपके बालों को घने करने में बहुत सहायता करेगी.

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गुड़हल की चाय के फायदे

गुड़हल की पत्तियों से बनी चाय हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम करने में सहायक है. इसके अंदर मौजूद पोषक तत्व धमनियों में पट्टीको को जमने से रोकता है. जिससे हमारा कोलस्ट्रोल कम रहता है.

गुड़हल के पौधे की देखभाल कैसे करें?

1. मिट्टी का प्रकार

आपकी जानकारी के लिए बता दें गुड़हल के पौधे को अम्लीय मिट्टी बहुत पसंद होती है. इस मिट्टी की वजह से यह पौधा जल्दी बड़ा होता है. यदि आप की मिट्टी अम्लीय नहीं है तो आपको अपने गमले में फिटकिरी का इस्तेमाल करके स्तर बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए या फिर आप हर 15 दिन में कंपोस्ट का इस्तेमाल करके गमले की मिट्टी को उपजाऊ बनाए रख सकते हैं. इन पौधों को हमेशा ठंडे तापमान से बचाए रखना चाहिए क्योंकि यह पौधे ठंडे तापमान में खराब हो जाते हैं.

2. प्रकाश

अगर आप अपने घर में गुड़हल का पौधा लगा रहे हैं तो उसको किसी ऐसे स्थान पर रखें जहां दिन में 6 से 8 घंटे तक सीधे धूप आती हो. गुड़हल के पौधे सूर्य के प्रकाश में बहुत जल्दी विकसित होते हैं. इनके अंदर कलिया लाने, फूल बनाने के लिए सूर्य की किरणें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

3. गुड़हल को पानी देना

जब भी आप गुड़हल के पौधे को गमले में लगाएं उससे पहले यह सुनिश्चित कर लें कि गमले में पानी की निकासी का रास्ता मौजूद हो. अगर आपके गमले में पानी जमा होगा तो उससे आप के पौधे को नुकसान पहुंचेगा और वह मर भी सकता है. पौधे में पानी देने से पहले हमेशा ऊपर की मिट्टी को चेक कर ले कि उसमें किसी प्रकार की नमी तो नहीं है उसके बाद ही पानी डालें. पौधे में ज्यादा पानी डालने से कीड़े लगने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

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4. गुड़हल की देखभाल की आवश्यक जानकारी

गुड़हल के पौधे फरवरी -मार्च से सितंबर-अक्टूबर तक फूल देते हैं

अगर आप चाहते हैं कि आप के गमले में हमेशा फूल लगे रहे तो उसके लिए आपको एक ऐसा फर्टिलाइजर ढूंढना होगा जिसमें आयरन और मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाए.

गुड़हल के पौधे को लगाने का सबसे सुनहरा समय फरवरी से मार्च और अक्टूबर से नवंबर का होता है.

गुड़हल का पौधा ठंड से खराब हो जाता है.

आपके गमले में ‌से पानी की निकासी होना आवश्यक है, अगर ऐसा होता है तो आपको उसमें कुछ भी मिलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

गुड़हल के पौधे में हमेशा गुनगुने पानी का प्रयोग करें, ठंडा पानी इन्हें सूट नहीं करता.

अधिक मात्रा में खाद देने से गुड़हल का पौधा खत्म हो सकता है. ज्यादा फास्फोरस पौधे के लिए खतरनाक होता है.

5. गुड़हल के पौधे की सामान्य समस्याएं

सर्दियों के महीने में ऐसा देखा जाता है कि गुड़हल के पत्तों का रंग पीला पड़ने लग जाता है. जब गुड़हल के पौधे में अधिक मात्रा में पानी का छिड़काव किया जाए तब उनकी पत्तियों का रंग पीला पड़ना शुरू हो जाता है. ऐसा होने पर आप पौधों में पानी डालने की मात्रा को कम करें. गर्मियों में एक पल ऐसा भी आता है जब गुड़हल के पौधे की पत्तियां जलने लगती है. ऐसा तब होता है जब तापमान 36 डिग्री से ऊपर चला जाता है. ऐसे में आपको गुड़हल के पौधे को छाया वाली जगह पर रख देना चाहिए. एफिड्स, माइट्स और मिलीबग गुड़हल के पौधों में पाई जाने वाली बीमारियां है. यदि आप इनके संक्रमण को नोटिस करते हैं तो तुरंत कीड़े मारने वाली दवाइयों का छिड़काव करें या बेकिंग सोडे का इस्तेमाल करें.

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