अक्सर देखा गया है कि लोग नया घर या फ्लैट किसी कुशल आर्किटेक्ट की देखरेख में बनवाते हैं या उसका इंटीरियर करवाते हैं. वे साज सज्जा पर लाखों रुपए खर्च करके उसको बेहद भव्य, शानदार और अनोखा बनवाने का प्रयास करते हैं. लेकिन जब वह उस घर में रहते हैं तो कुछ समय बाद ही परिवार के सदस्य बीमार पड़ने लगते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा अक्सर वास्तु दोष के कारण भी होता है. अपार्टमेंट संस्कृति में किसी का प्रवेश द्वार पश्चिम में तो किसी का दक्षिण में होता है. यही कारण है कि वास्तु दोष अधिक होने लगते हैं.

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रसोई का वास्तु दोष

घर के मुखिया कहते हैं कि यहां पर घुसते ही सिर घूमने लगता है या फिर खाना खाते ही पेट में भारीपन, गैस आदि की शिकायत हो जाती है. पेट में दर्द होना तो आम बात है. कई बार तो खाने के समय भी किसी की खाना खाने की इच्छा ही नहीं रहती है और बना बनाया खाना बेकार हो जाता है.

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बीमारियों का कारण

कई लोगों के यहां किचन नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ बना होता है जो एक भंयकर वास्तुदोष है. यह स्थान रसोई के लिए ठीक नहीं होता है. यहां पर रखा भोजन विषाक्त होता है. ऐसा भोजन बीमारियों का कारण बनता है.

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अग्नि और पानी को अलग-अलग रखें

वास्तु के हिसाब से उसी किचन में गैस स्टोव, सिलिंडर और माइक्रोवेव तथा वॉटर प्यूरीफायर लगाते समय आमने-सामने सेटिंग करना चाहिए. वास्तु के अनुसार इस तरह का मामूली बदलाव करने के कुछ समय बाद ही उनके घर से धीरे-धीरे बीमारियां खत्म होने लगीं और परिवार के सदस्य ठीक होने लगते हैं इसलिए यदि परिवार के सदस्यों को स्वस्थ रहना है तो किचन में कभी भी जल और अग्नि तत्व को एक साथ न रखें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Opoyi इसकी पुष्टि नहीं करता है.