मां बनना हर महिला का सौभाग्य होता है और इसकी प्रक्रिया उनके जन्म से ही शुरु हो जाती है. संसार में भगवान के बाद महिलाएं ही हैं जिनका दर्जा ऊपर दिया गया है ऐसा इसलिए क्योंकि मौत की दहलीज पर जाकर महिलाएं एक जिंदगी को जन्म देती हैं. आमतौर पर लोग जानते हैं कि एक महिला जब किसी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाती है तब वे प्रेग्नेंट होती हैं और ये सच भी है लेकिन इसके अलावा भी कुछ प्रक्रियाएं होती हैं जिनसे महिलाएं प्रेग्नेंट होती हैं.

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क्या है प्रेग्नेंट होने की प्रक्रियाएं?

पुरुष की भूमिका – जब कोई पुरुष किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो पुरुष के लिंग से महिला की योनि में एक तरल पदार्थ गिरता है जिसे सीमेन कहा जाता है. सीमेन मे पुरुष के शुक्राणु भी शामिल होते हैं और वो महिला की योनि में गिरने के बाद महिला के अंडे से निषेचन होता है और फिर वो दोनों मिलकर एक भ्रुण को बनाते हैं.

महिला की भूमिका – महिलाओं के अंडाशय में अंडे बनते हैं और मासिक धर्म उस दौरान रुक जाता है. पीरियड्स को कंट्रोल करने वाले हार्मोंस की वजह से इनमें से कुछ अंडे हर महीने परिपक्व होते हैं. जह ये अंडे परिपर्व होते हैं तो इसका मतलब यह कि वे स्पर्म कोशिकाओं के साथ भ्रूण बनाने को तैयार हैं. महिलाओं के शरीर में ये हार्मोन गर्भाशय की परत को मोटा और स्पंजी बना देते हैं और गर्भावस्था के दौरान बच्चे को संभालने को तैयार हो जाते हैं. पीरियड्स के बाद एक परिपक्व अंडा महिला के अंडाशय में रह जाता है इसे अंडोत्सर्ग करते हैं और यह परिपक्व अंडा फेलोपियन ट्यूब से गर्भाशय की ओर टहलते हुए करीब 12 से 14 घंटों तक स्पर्म की तलाश करता है.

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इसी दौरान जब स्खलन के दौरान पुरुष का सीमेन महिला की योनि में गिरता है तब स्पर्म कोशिकाएं सर्विक्स और गर्भाशय के माध्यम से फैलोपियन ट्यूब में तैरती है और फिर अंडे की तलाश करती है. गर्भाशय में स्पर्म कोशिकाएं 6 दिनों तक अंडे की तलाश में होती है और उसके बाद नष्ट हो जाती हैं.

निषेचन और प्रत्यारोपण – जब अंडा स्पर्म कोशिकाओं के संपर्क में आता है तो स्पर्म कोशिकाएं उसके साथ मिलकर निषेचन क्रियाएं शुरु कर देती हैं. हालांकि निषेचन तुरंत नहीं होता है क्योंकि सेक्स करने के बाद करीब 6 दिनों तक स्पर्म गर्भाशय और फलोपियन ट्यूब में रहता है इसलिए वो 6 दिनों के बीच ही निषेचन करता है.अगर स्पर्म कोशिकाएं अंडे से नहीं जुड़ पाती तो निषेचित अंडा गर्भाशय की ओर फैलोपियन ट्यूब में चला जाता है और वहां से ज्यादा कोशिकाओं में बंटकर एक विकसित बॉल बन जाता है.

बॉल कोशिकाएं जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं निषेचिन के चार दिनों के बाद गर्भाशय में जाता है. बॉल की कोशिकाएं भी गर्भाशय मे दो से तीन दिन तक टहलती है फिर जब बॉल की कोशिकाएं गर्भाशय की दीवार की परतें जुड़ जाती हैं तो इस क्रिया को प्रत्यारोपण कहते हैं और इसके बाद शुरु होती है प्रेग्नेंसी. जब निषेचित अंडे गर्भाशय में प्रत्यारोपित होते हैं तो ये प्रेग्नेंसी हार्मोंस स्रावित करने लगते हैं जिससे महिला गर्भवती होती है और पीरियड्स रुक जाते हैं.

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प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण

1. मासिक धर्म रुक जाना

2. स्तनों का सूजना और मुलायम होना

3. उल्टी होना या जी मिचलाना

4. शरीर में थकान का अनुभव होना

5. बार-बार ट्वायलेट फील होना

6. स्तन के आकार में परिवर्तन

7. चक्कर आना, शरीर का सूजना और कब्ज हो जाना

नोटः ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए अपने डॉक्टरों से सलाह जरूर लें.

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