Muharram Mubarak Shayari: मुहर्रम एक इस्लामिक त्योहार है जो पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन हजरत रसूल के पोते हजरत इमाम हुसैन को उनके परिवार और 72 साथियों के साथ शहीद कर दिया गया था. जिनकी याद में मुहर्रम मनाया जाता है. इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में अपनी शहादत दी थी. इराक के कर्बला में घटी ये घटना असल में सच्चाई के लिए जान कुर्बान करने का जीता जागता उदाहरण है.

मुहर्रम महीने के 10वें दिन को ‘आशुरा’ कहा जाता है. वह दिन जब इमाम हुसैन ने अपनी शहादत दी थी. मुहर्रम इस्लामिक साल यानी हिजरी साल का पहला महीना है. अल्लाह के हजरत रसूल ने इस महीने को अल्लाह का महीना कहा है. आज इस खास मौके पर हम आपके लिए कुछ शायरियां लेकर आए हैं जिन्हें आप अपने चाहने वालों के साथ शेयर कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें: Muharram 2023 Bank Holiday: मुहर्रम पर किन राज्यों के बैंक में रहेगी छुट्टी? यहां जानें इसका सटीक जवाब

Muharram Mubarak Shayari

कर्बला की कहानी में कत्लेआम था
लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,
खुदा के बन्दे ने दी कुर्बानी
जो आनेवाली नस्लों के लिए एक पैगाम था.

क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने.

वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,
घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,
उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम.

यह भी पढ़ें: Islamic New Year 2023: कब से हो रही है हिजरी न्यू ईयर की शुरुआत? जानें कुल दिनों की संख्या के साथ-साथ महत्व

जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग,
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से
तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से.

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में,
उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)