चैत्र माह के पवित्र नवरात्रि (Navratri) की शुरुआत 2 अप्रैल 2022 से हो रही है. जिसमें भक्त पूरी श्रद्धा के साथ मां भगवती की पूजा (Puja) अर्चना करते हैं. शारदीय नवरात्र हो, चैत्र नवरात्र हो या फिर गुप्त नवरात्र हो. हिंदू धर्म (Hinduism) में नवरात्र पर ज्वारे या जौ का बहुत अधिक महत्व होता है. आज के दिन कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं. मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री थी. सफेद वस्त्र धारण किए मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है.

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नवरात्रि के पहले दिन ही घटस्थापना से पहले जौ बोए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जौ के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी होती है. नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना के लिए जौ का प्रयोग किया जाता है. जौ पर ही कलश को स्थापित किया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि घटस्थापना से पहले जौ क्यों बोए जाते हैं.आइए जानते है इसके बारे में.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा ने इस सृष्टि की स्थापना की तब वनस्पतियों में जो पहली फसल विकसित हुई थी. वह ‘जौ’ थी. मान्यता है कि सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन हुई थी. इसी वजह से नवरात्रि के प्रथम दिन घट स्थापना के साथ पूरे विधि-विधान से जौ बोए जाते है.

नवरात्रि के प्रथम दिन घट स्थापना के साथ पूरे विधि-विधान से जौ बोए जाते है.

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धार्मिक मान्यता के अनुसार जौ भगवान विष्णु का प्रतीक है. इसीलिए घट स्थापना के समय नवरात्रों में जौ की सबसे पहले पूजा की जाती है और उसे कलश में भी स्थापित किया जाता है.

क्या होता है जौ

कई लोग जौ को ज्वारे भी कहते हैं. नवरात्रि के समय मंदिर, घर और पूजा पंडालों में मिट्टी के बर्तनों में ज्वारे बोए जाते हैं. संस्कृत भाषा में इसे यव कहा जाता है. नवरात्रि में प्रतिदिन मां दुर्गा की पूजा से पहले इसमें जल अर्पित किया जाता है. धीरे-धीरे यह अंकुरित होकर बढ़ने लगते हैं और कुछ दिनों में हरी-भरी फसल की तरह दिखाई देने लगते हैं. नवरात्रि के समापन पर इनको किसी तालाब या फिर नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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