National Sports Day 2023: भारत में खेल प्रेमियों की कोई कमी नहीं है और हमारे देश में एक से बढ़कर एक दिग्गज खिलाड़ी भी हैं. भारत में हर स्पोर्ट्स से कोई ना कोई बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में उभरा है. स्पोर्ट्स से ना सिर्फ फिटनेस बरकरार रहती है बल्कि इससे मानसिक संतुलन भी बना रहता है. आज के समय में भारत ने खेल की दुनिया में हर किसी को मात दी है. क्रिकेट, हॉकी, एथलेटिक्स इन सब खेलों में दिग्गज खिलाड़ियों ने दुनिया में अपनी जबरदस्त छाप छोड़ी है. इन खिलाड़ियों और इनके प्रदर्शन को दशकों के बाद भी याद रखा जाएगा. 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है लेकिन इसी दिन ऐसा क्यों होता है चलिए आपको विस्तार से बताते हैं.

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29 अगस्त को ही राष्ट्रीय खेल दिवस क्यों मनाते हैं? (National Sports Day 2023)

29 अगस्त को हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की जयंती होती है. इसी दिन पूरा देश राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता है. मेजर ध्यानचंद का नाम हॉकी के उन बेहतरीन खिलाड़ियों में लिया जाता है. जिनमें असीम प्रतिभा थी और पूरी दुनिया में उनके हॉकी का डंका बजता था. मेजर ध्यानचंद के खेल के बदौलत भारतीय हॉकी टीम ने तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल हासिल किए थे. उनके हॉकी के खेल को देखकर कई दिग्गज भी कायल थे. सरकार ने ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था. एक बार मैच के दौरान उनकी स्टिक तोड़कर जांच की गई थी कि कहीं उसके अंदर कोई चुंबक या कुछ और तो नहीं है. मेजर ध्यानचंद 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे. भारत यहां गोल्ड पर कब्जा किया था.

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कौन थे मेजर ध्यानचंद ? (Who was Major Dhyan Chand)

29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था. ये शहर आज के समय में प्रयागराज से जाना जाता है. वे भारतीय सेना में शामिल हुए थे जब उनकी उम्र महज 16 साल थी. ध्यानचंद ने 1926 से 1948 तक अपने करियर में 400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल किए. वहीं, उन्होंने अपने पूरे करियर में लगभग एक हजार गोल दागे. ध्यानचंद को सम्मान देने भारत सरकार ने 2012 में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. हाल ही में सरकार ने खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़ा अवॉर्ड राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया है. ध्यानचंद का निधन 3 दिसंबर 1979 को हुआ था.

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